कलेक्टर नहीं होता हिंदू, मुसलमान या ईसाई : नीतीश

कलेक्टर तो कलेक्टर होता है। वह न हिंदू होता है, न मुसलमान और न सिख। बोधगया महाबोधि इंतेजामिया कमेटी का सदर वहां का डीएम ही होगा। ये बातें वजीर ए आला नीतीश कुमार ने मंगल को असेंबली में कहीं। वे बोधगया मंदिर तरमीम बिल-2013 पर हुकूमत का हक रख रहे थे। उनके जवाब से नाखुश भाजपा मेम्बरों ने जम कर हंगामा किया और एवान से वाकआउट कर गये। वजीर ए आला ने कहा, बिल का मकसद साफ़ है।

इसमें तरमीम आज की सूरते हाल के मुताबिक लाया गया है। मंदिर की किसी मज़हबी अमल, पूजा अमल या रोज़ाना काम में कोई छेड़छाड़ नहीं की गयी है। मंदिर का इंतेजामिया पुराने बुनियाद पर चल रहा था। बौद्ध समाज भी लंबे अरसे से इंतेजामिया निजाम में बदलाव की मांग कर रहा था। उन्होंने कहा कि बौद्ध सोसाइटी और अकलियत कमीशन के सदर वजाहत हबीबुल्लाह से भी उनकी लंबी बातचीत हुई। काफी तशवीश हुआ, तब जाकर यह तरमीम किया गया है।

अब तक बोधगया मंदिर इंतेजामिया कमेटी का सदर कोई हिंदू कलक्टर ही होता था। हिंदू कलक्टर नहीं होने पर हुकूमत को किसी को सदर मुक़र्रर करना पड़ता था। तरमीम के बाद किसी भी मज़हब, ज़ात या मजहब का कलेक्टर इंतेजामिया कमेटी का सदर होगा। हुकूमत कोई भी काम कानून की बुनियाद पर करती है। फिर हमारा मुल्क सेक्युलर मुल्क है। सुप्रीम कोर्ट में भी यह मामला चल रहा था, वहां से भी डीएम को ही इंतेजामिया कमेटी का सदर बनाये जाने की बात कही गयी।

उन्होंने क हा कि मज़हबी न्यास कोंसिल, शिया वक्फ बोर्ड या सुन्नी वक्फ बोर्ड से इसकी मुकाबला नहीं की जा सकती। तरमीम का तजवीज पानी वसायल वजीर विजय कुमार चौधरी ने पेश किया था। गैर हिंदू जिलाधिकारी को बोधगया मंदिर इंतेजामिया कमेटी का सदर बनाये जाने का अपोजिशन के लीडर नंद किशोर यादव ने जम कर मुखालफत किया।