कानकुनी- वज़ीर-ए-दाख़िला से पूछताछ

आंधरा प्रदेश और कर्नाटक में गै़रक़ानूनी कानकुनी सरगर्मीयां एक तवील अर्सा से जारी थीं। इन सरगर्मीयों की वजह से कानकुनी माफ़िया ने हज़ारों करोड़ रुपय की दौलत बटोर ली है और दोनों ही रियास्तों के अवामी-ओ-सरकारी ख़ज़ाना को इस से महरूम होना पड़ा है । सिर्फ चंद सियासतदानों और ब्यूरोक्रेट्स को इस कानकुनी माफ़िया से वफ़ादारी की क़ीमत के तौर पर कुछ दौलत ज़रूर हासिल हुई है लेकिन असल दौलत तो उसी माफ़िया ने कमाई है ।

अब इस माफ़िया के ख़िलाफ़-ए-क़ानून का शिकंजा बतदरीज कसता जा रहा है । सब से पहले कर्नाटक में इस की शुरूआत हुई थी और अब तहक़ीक़ात का दायरा आंधरा प्रदेश तक भी वुसअत इख़तियार कर गया है । सी बी आई की जानिब से सब से पहले कर्नाटक के साबिक़ वज़ीर मिस्टर गाली जनार्धन रेड्डी को गिरफ़्तार करलिया गया जो अब चनचलगोड़ा जेल में क़ैद हैं। इन की ज़मानत के हुसूल की कोशिशें अब तक तो नाकाम रहे हैं और बज़ाहिर ऐसा लगता है कि फ़ौरी तौर पर उन की ज़मानत मंज़ूर होनी मुश्किल हो जाएगी ।

मिस्टर गाली जनार्धन रेड्डी के साथ उन के बरादर-ए-निसबती और ओबलापोरम कानकुनी कंपनी के एम डी को भी गिरफ़्तार किया गया था और वो भी हनूज़ जेल में हैं । अब इस कानकुनी माफ़िया के तार आंधरा प्रदेश के सियासतदानों तक भी पहूंचने लगे हैं और सी बी आई की जानिब से रियासत की वज़ीर-ए-दाख़िला सबीता इंदिरा रेड्डी से भी पूछताछ हुई है ।

हालाँकि इस पूछताछ की तफ़सीलात से मुकम्मल वाक़फ़ीयत नहीं होसकी है लेकिन बाअज़ ऐसे सवालात हैं जो ज़राए इबलाग़ में पूछे जा रहे हैं लेकिन अभी तक इन का कोई जवाब नहीं दिया जा सका है । इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कानकुनी के मुआमला में यक़ीनी तौर पर कानकुनी माफ़िया की सियासतदानों और ब्यूरोक्रेट्स के साथ साज़ बाज़ हुई है और इस साज़ बाज़ को बेनकाब करते हुए ख़ातियों के चेहरे बेनकाब करते हुए उन्हें क़ानून के कटहरे में ला खड़ा करना अब सी बी आई की ज़िम्मेदारी है ।

ये नहीं देखा जाना चाहीए कि साज़ बाज़ करने वाले कितने बाअसर हैं और उन का रुतबा और ओहदा कितना है आली क्यों ना हो। सी बी आई की जानिब से अगर पूरी दियानतदारी और पेशावराना महारत के साथ तहक़ीक़ात की जाएं और कोई सयासी दबाव क़बूल ना किया जाय तो ये बात यक़ीन से कही जा सकती है कि अस्क़ाम के हक़ीक़ी ख़ातियों को बेनकाब किया जा सकता है ।

सी बी आई ने सबीता इंदिरा रेड्डी से पूछताछ की है । उन से पूछा गया कि आया साबिक़ चीफ़ मिनिस्टर आँजहानी वाई ऐस राज शेखर रेड्डी के फ़र्ज़ंद और वाई ऐस आर कांग्रेस के सरबराह जगन मोहन रेड्डी ने उन पर दबाव डाला था कि वो फ़ाइलीस को जल्द अज़ जल्द मंज़ूरी दें ? । उन से सवाल किया गया कि आया गाली जनार्धन रेड्डी ने तो उन पर दबाव नहीं डाला था ? ।

हसब तवक़्क़ो सबीता इंदिरा रेड्डी ने इस मुआमला में किसी भी गोशा से किसी तरह का दबाव डाले जाने औरा नून की जानिब से दबाव क़बूल किए जाने की तरदीद की है । ताहम सबीता इंदिरा रेड्डी इस ताल्लुक़ से कोई इतमीनान बख़श वज़ाहत नहीं कर पाइं कि जब कोई दबाव नहीं था तो फिर कानकुनी लीज़ की मंज़ूरी की फाईलों को किस तरह सिर्फ एक दिन के वक़्त में मंज़ूरी देदी गई । जब ये फाईलस इंतिहाई निचली सतह पर थीं तो फिर वो तमाम मराहिल की तकमील के साथ सिर्फ एक दिन में इन की मेज़ तक किस तरह पहूंच गईं जबकि अफ़्सर शाही में काम काज में ताख़ीर एक रिवायत बन गई है । ये फाईलस सिर्फ एक दिन में वज़ीर-ए-दाख़िला की मेज़ तक पहूंच भी गईं और वज़ीर-ए-दाख़िला ने उन्हें उसी दिन मंज़ूरी भी देदी ।

ये ऐसा मसला है जिस की तफ़सीली और इतमीनान बख़श वज़ाहत ज़रूरी है । चूँकि सबीता इंदिरा रेड्डी से पूछताछ की मुकम्मल तफ़सीलात का इलम नहीं होसका है इसी लिए ये नहीं कहा जा सकता कि सी बी आई उन से पूछताछ पर किस हद तक मुतमइन है और किस हद तक ग़ैर मुतमइन है । सी बी आई की आइन्दा हिक्मत-ए-अमली क्या होगी । मालूम हुआ है कि सबीता इंदिरा रेड्डी ने फाईलों की तेज़ी के साथ यकसूई केलिए ब्यूरोक्रेसी को ही ज़िम्मेदार क़रार दिया है और उन्हों ने कानकुनी मसला में अफ़्सर शाही की कानकुनी माफ़िया के साथ साज़ बाज़ का इमकान मुस्तर्द नहीं किया है ।

ये बात तो सभी जानते हैं कि अफ़्सर शाही की साज़ बाज़ के बगै़र फाईलों की और वो भी इंतिहाई हस्सास और अहम नौईयत की लीज़ की फाईलस की इतनी तेज़ी के साथ यकसूई मुम्किन नहीं है लेकिन इस में सियासतदानों के असर-ओ-रसूख़ और उन के रोल को भी यकसर मुस्तर्द नहीं किया जा सकता और एहमीयत के साथ इसी पहलू की तहक़ीक़ात होनी चाहिऐं। सबीता इंदिरा रेड्डी से पूछताछ को हालाँकि अभी तहक़ीक़ाती अमल का नाम नहीं दिया जा सकता ताहम उस की शुरूआत से भी इनकार नहीं किया जा सकता ।

जब एक और रियास्ती वज़ीर डाक्टर शंकर राव ने इस तरह के इल्ज़ामात आइद किए थे तो सबीता इंदिरा रेड्डी ने अपने हामीयों के साथ चीफ़ मिनिस्टर के कैंप ऑफ़िस पहूंच कर इस के ख़िलाफ़ मुज़ाहरा किया था और शंकर राव के ख़िलाफ़ शिकायत की थी । ये तरीक़ा मुनासिब नहीं है क्योंकि अगर वो बेक़सूर हैं तो फिर उन्हें तहक़ीक़ात से ख़ौफ़ज़दा होने की बजाय इस का सामना करते हुए अपनी बेगुनाही साबित करनी चाहिये।

जहां तक सी बी आई का ताल्लुक़ है उसे भी कानकुनी माफ़िया और सियासतदानों-ओ-ब्यूरोक्रेट्स की साज़ बाज़ को बेनकाब करने केलिए पूरी दियानतदारी और ग़ैर जांबदारी के साथ काम करना चाहीए और किसी तरह के सयासी दबाव को हरगिज़ तस्लीम नहीं करना चाहीए ।