कानकुन कंपनी की जानिब से मुंतक़िल की गई रक़म क़र्ज़ थी: रिश्वत नहीं

कर्नाटक के साबिक़ वज़ीर-ए-आला बी एस येदि यूरप्पा के ख़ानदान के अराकीन ने कल दावे किया कि इनकी मिल्कियत वाली कंपनी को एक कानकुन कंपनी की तरफ़ से छः करोड़ रुपये कानकनी के लाईसेंस के लिए रिश्वत के तौर पर नहीं बल्कि बतौर क़र्ज़ मुंतक़िल की गई थी।

ख़्याल रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने एक ग़ैर सरकारी तंज़ीम (एन जी ओ) की तरफ़ से दाख़िल कर्दा एक दरख़ास्त पर मर्कज़ी ख़ुदमुख्तार कमेटी (सी ई सी) को इस मुआमले की इंक़्वायरी करने की हिदायत दी थी। कमेटी ने अपनी इंक्वायरी रिपोर्ट कल हाइकोर्ट में पेश की। एन जी ओ की तरफ़ से एस आर हीरीमत ने अपनी दरख़ास्त में कहा था कि मिस्टर येदि यूरप्पा के कुम्बा के अराकीन की मिल्कियत वाली दो कंपनीयों को कानकुन ताजिर ने कानकनी के लाईसेंस के लिए रिश्वत दी थी।

मिस्टर येदी यूरप्पा के कुम्बा के अराकीन ने ये इल्ज़ाम भी लगाया था कि मिस्टर येदी यूरप्पा के नायब वज़ीर-ए-आला और वज़ीर-ए-आला के ओहदे पर फ़ाइज़ रहते हुए इनके कुम्बा के अराकीन ने तक़रीबन 340 करोड़ रुपये की बेहिसाब जायदाद हासिल की थीं।

क़ौमी कमीशन की रिपोर्ट गुजरात हाइकोर्ट की तन्क़ीद के बाद असेंबली में पेश गांधी नगर 30 मार्च (पी टी आई) गुजरात हाईकोर्ट की शदीद तन्क़ीद के बाद रियास्ती हुकूमत ने आज क़ौमी हक़ूक़-ए-इंसानी कमीशन की साल 2002 03 के बारे में रिपोर्ट ऐवान असेंबली में पेश कर दी।

गुजरात हाईकोर्ट ने 500 से ज़ाइद मज़हबी इमारतों को 2002 के फ़सादाद के दौरान पहुंचने हुए नुक़्सान का मुआवज़ा अदा करने का हुक्म देते हुए अपने फ़ैसला में चीफ़ जस्टिस भास्कर भट्टाचार्य और जस्टिस जे बी पाड़दी वाला ने एतराज़ करते हुए कहा कि वो क़ौमी इंसानी हुक़ूक़ कमीशन का तज़किरा नहीं कर रहे हैं, क्योंकि ये इंसानी हुक़ूक़ क़ानून 1993 बराए तहफ़्फ़ुज़ की ख़िलाफ़वर्ज़ी करते हुए तैयार करने का इल्ज़ाम आइद किया जा रहा है, लेकिन ऐसी कोई दरख़ास्त रियास्ती हुकूमत की जानिब से पेश नहीं की गई और सालाना रिपोर्ट और दीगर रिपोर्टस जो क़ौमी इंसानी हुक़ूक़ कमीशन की जानिब से रियास्ती हुकूमत को दी गई हैं, आज तक भी ऐवान असेंबली में पेश नहीं की गईं।

ऐसी संगीन कोताही वाज़िह तौर पर तहफ़्फ़ुज़ इंसानी हुक़ूक़ क़ानून 1993 की दफ़ा 20 की वाज़िह ख़िलाफ़वर्ज़ी है। अदालत की इस तन्क़ीद के बाद कमीशन की रिपोर्ट बराए 2002 03 और 148 अफ़राद की हलाकत के बारे में तहक़ीक़ाती रिपोर्ट जो साबिक़ हाईकोर्ट जज जस्टिस कमल मेहता की ज़ेर क़ियादत की गई थी, ऐवान असेंबली में पेश कर दी गई।

दरीं असनाइ गुजरात हाईकोर्ट ने आज रियास्ती हुकूमत को हिदायत दी कि अंदरून तीन माह फ़ैसला किया जाए कि रियास्ती वज़ीर समकयात पुरुषोत्तम सोलंकी के ख़िलाफ़ माही गैरी के कौंट्रैक्टस की मंज़ूरी में मुबय्यना तौर पर बे क़ाईदगियों का इर्तिकाब करने के इल्ज़ाम में मुक़द्दमा चलाया जाए या नहीं?। जस्टिस एच एच दीवानी ने मुक़द्दमा की समाअत के बाद कहा कि इस सिलसिले में डिप्टी सेक्रेटरी जिन्होंने सोलंकी के हद से ज़्यादा सरगर्म रहने की तहक़ीक़ात का मुतालिबा करते हुए पेश की हुई दरख़ास्त को मुस्तर्द कर दिया था, से भी वज़ाहत तलब की जाए।