काबुल और मुंबई हमलों में मुमासिलत ? अमरीका की जांच

वाशिंगटन, 25 सितंबर (यू एन आई) अमरीकी तफतीशी एजैंसीयां 13सितंबर को काबुल में अमरीकी सिफ़ारत ख़ाना पर हुए दहश्त गिरदाना हमले और साल 2008 -में मुंबई में हुए दहश्त गिरदाना हमलों में मुमासिलत का पता लगाने की कोशिश कररही हैं। इन्सिदाद-ए-दहशत गर्दी मुहिम से वाबस्ता अमरीका के मौजूद और साबिक़ आफ़िसरान के मुताबिक़ दोनों वाक़ियात में यकसानियत का पता लगाया जा रहा है ताकि काबुल हमले में पाकिस्तान की खु़फ़ीया एजैंसी आई ऐस आई (एंटर सरवेसस अनटलीजनस) के मुलव्वस होने के शवाहिद यकजा किए जा सकें। बिलख़सूस इस बात की जांच की जा रही है कि दोनों हमलों के दौरान दहश्तगरदों ने पाकिस्तान नशीन अपने आक़ाॶं से टेलीफ़ोन पर राबिता किया। दोनों हमलों में यकसानियत के मद्द-ए-नज़र समझा जा रहा है कि आई ऐस आई के ऐस ब्रांच ने इन हमलों को अंजाम दिया था। अमरीकी फ़ौज के सरबराह एडमीरल माईक मोलन ने कांग्रेस कमेटी के सामने कहा था कि काबुल में अमरीकी सिफ़ारत ख़ाना और नाटो हेडक्वार्टर पर दहश्त गिरदाना हमलों के पीछे हक़्क़ानी ग्रुप का हाथ रहा जो पाकिस्तान से अपनी सरगर्मीयां चला रहा हैं। उन्हों ने कहा कि आई ऐस आई के इशारे पर हमले किए गए थे। दूसरी तरफ़ हकूमत-ए-पाकिस्तान ने अपनी ताक़तवर जासूस एजैंसी पर अमरीका की इल्ज़ाम आराई के जवाब में शदीद रद्द-ए-अमल का इज़हार करते हुए मुतनब्बा किया है कि इस तरह के रवैय्या से वाशिंगटन दहश्तगर्दी के ख़िलाफ़ जंग में अपने एक हलीफ़ को खो देगा। वज़ीर-ए-आज़म यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने कहा है कि अमरीका को गलतफहमियां दूर करना होग ।