किसानों के कर्ज माफी पर केंद्र सरकार का अफ़सोसनाक व्यवहार

नई दिल्ली: देश और विशेषकर भाजपा नेतृत्व वाली राज्यों में किसानों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल ने सवाल उठाया कि क्या किसानों के लिए यही अच्छे दिन हैं कि उन्हें अपनी मेहनत के बदले मौत मरना पड़ रहा है|

आल इंडिया मिल्ली काउंसिल महासचिव डॉ मोहम्मद मंजूर आलम ने अपने प्रेस बयान में कहा कि किसानों की आत्महत्या की वजह यह है कि उन पर बैंकों का कर्ज है और वह उसे भुगतान नहीं कर पा रहे है| मध्या प्रदेश में अभी हाल ही में कई किसान आत्महत्या कर चुके हैं और महाराष्ट्र में भी यही कुछ स्थिति है।

सरकार महाराष्ट्र ने किसानों की कर्ज माफी का अनुमान 35 / हज़ार करोड़ रुपये का लगाया है उसमें भी सभी किसानों का उधार माफ नहीं हैं बल्कि एक सीमा निर्धारित कर दी है जिसके ऊपर कर्ज माफ नहीं होगा| उन्होंने कहा कि जब केंद्र में भाजपा सरकार सत्ता में आई थी तब किसानों से बड़े सुंदर वादे किए थे लेकिन अब वित्त मंत्री अरुण जेटली साफ कह रहे हैं कि राज्यों में ऋण माफी में केंद्र सरकार कोई मदद नहीं कर सकता इसके लिए राज्य सरकार खुद इस राशि व्यवस्था करे। मोदी सरकार के अच्छे दिन के वादे के जवाब में भाजपा सरकार के तीन साल में किसानों के सबसे ज़्यादा आत्महत्या की घटनाएं सामने आई हैं।