केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज ने 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का एलान किया

मोदी सरकार में तेज तर्रार नेता के रूप में अपनी छवि कायम करने वाली केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी. मध्य प्रदेश के इंदौर में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करने के दौरान सुषमा स्वराज ने यह बड़ा ऐलान किया. सुषमा स्वराज  (Sushma Swaraj) बीजेपी की कद्दावर नेता हैं और मोदी सरकार में बड़ा कद रखती हैं. इंदौर में प्रेस वार्ता के दौरान केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज ने यह बड़ा ऐलान किया. 66 वर्षीय सुषमा स्वराज ने कहा कि मैंने मन बनाया है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में मैं नहीं लड़ूंगी. रिपोर्ट की मानें तो उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है.

हालांकि, सुषमा स्वराज ने कहा कि फैसला पार्टी को लेना है, मगर उन्होंने अगला चुनाव नहीं लड़ने का मन बना लिया है. सुषमा स्वराज मध्य प्रदेश के विदिशा से लोकसभा सांसद हैं और बीजेपी की प्रमुख चेहरों में से एक हैं.

इससे पहले साल 2016 में बुखार और निमोनिया के लक्षण के साथ सीने में जकड़न की समस्या होने पर एम्स में भर्ती कराया गया था. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का गुर्दा प्रत्यारोपण किया गया था. साल 2016 में 10 दिसंबर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 50 डॉक्टरों के एक दल द्वारा सुषमा स्वराज का किडनी प्रत्यारोपण किया गया था.

मोदी सरकार में सुषमा स्वराज की छवि काफी तेज तर्रार नेता वाली है. सोशल मीडिया पर भी उनकी लोकप्रियता काफी है. ट्विटर के माध्यम से सुषमा स्वराज मदद करने के लिए जानी जाती हैं. इतना ही नहीं, वैश्विक मंचों पर भी सुषमा स्वराज काफी बेबाकी से भारत का पक्ष रखती हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ का मंच हो या फिर कोई और, सुषमा स्वराज बेबाक तरीके से भारत का पक्ष रखती हैं और दुनिया के सामने भारत के कद को एक नया आकार देती हैं.

सुषमा स्वराज एक भारतीय राजनीति में बड़ा नाम रखती हैं. खासकर महिला राजनीति में. सुषमा स्वराज साल 2009 में भारतीय जनता पार्टी द्वारा संसद में विपक्ष की नेता चुनी गयी थीं, इस नाते वे भारत की पन्द्रहवीं लोकसभा में प्रतिपक्ष की नेता रही हैं. इसके पहले भी वे केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में रह चुकी हैं तथा दिल्ली की मुख्यमन्त्री भी रही हैं.

अम्बाला छावनी में जन्मीं सुषमा स्वराज ने एस॰डी॰ कॉलेज अम्बाला छावनी से बी॰ए॰ और पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से कानून की डिग्री ली है. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पहले जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. आपातकाल का पुरजोर विरोध करने के बाद वे सक्रिय राजनीति से जुड़ गयीं. वर्ष 2014 में उन्हें भारत की पहली महिला विदेश मंत्री होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है.  जबकि इसके पहले इंदिरा गांधी दो बार कार्यवाहक विदेश मंत्री रह चुकी हैं.