क्या सऊदी अरब को एटमी तकनीक हासिल करने से रोक रहा है अमेरिका?

क्या अमेरिका जल्द ही सऊदी अरब को सिविल न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी देगा? अगर सऊदी राजशाही को एटमी तकनीक मिल गई तो क्या पूरा मध्य पूर्व अस्थिर हो जाएगा?

अमेरिकी नेता जानना चाहते हैं कि क्या राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप सऊदी अरब को संवेदनशील नाभिकीय तकनीकी बेचना चाह रहे हैं? राज खोलने वाले कई लोग हितों के टकराव की चेतावनी दे रहे हैं।

यह बातें खुद इस मामले की जांच कर रही अमेरिकी संसद की हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव कमेटी ने कही हैं। कमेटी के सदस्यों को डर है कि सऊदी राजशाही अमेरिकी तकनीक के जरिए परमाणु बम बना सकती है और इसकी वजह से रियाद और उसके धुर प्रतिद्वंद्वी तेहरान के बीच तनाव बढ़ जाएगा।

डी डब्ल्यू हिन्दी के अनुसार, सिविल न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी, सैन्य तकनीक से कितनी अलग है? बॉन इंटरनेशनल सेंटर फॉर कंवर्जन (बीआईसीसी) के मुताबिक, “दोनों एक दूसरे से इतनी गहराई से जुड़े हैं कि उन्हें बमुश्किल ही अलग किया जा सकता है।

न्यूक्लियर तकनीक के सिविल इस्तेमाल से ज्ञान, मैटीरियल और तकनीक हासिल की जा सकती है, जिसे सैन्य नाभिकीय कार्यक्रम के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

जर्मन काउंसिल ऑन फॉरन रिलेशंस के सऊदी अरब एक्सपर्ट सेबास्टियान सोन्ज मानते हैं कि सऊदी अरब प्राथमिक रूप से नाभिकीय ऊर्जा का सैन्य इस्तेमाल नहीं करना चाहता है। सोन्ज के मुताबिक रियाद बहुत ही ज्यादा आर्थिक दबाव में है।

सऊदी अरब तेल पर अपनी आर्थिक निर्भरता को कम करना चाहता है. देश का 80 फीसदी राजस्व पेट्रोलियम से ही आता है। डॉयचे वेले से बातचीत में एक्सपर्ट सोन्ज ने कहा कि रियाद बीते कुछ समय से ऊर्जा के साधनों को विविध बनाने पर काम कर रहा है, “ये बड़ी कोशिशें हैं, जिनमें नाभिकीय ऊर्जा क्षेत्र बड़ी भूमिका निभाएगा। इसके लिए सऊदी अरब को अपने साझेदारों और खास तौर पर अमेरिका के सहयोग की जरूरत है।

फिलहाल सऊदी अरब अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के बिना एटमी ऊर्जा नहीं बना सकता है। लेकिन वह चाहता है कि वह इस उन्नत तकनीक के मामले में भी जल्द ही आत्मनिर्भर हो जाए। मार्च 2018 में सऊदी ने नेशनल एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम लॉन्च किया।

इसके तहत अगले 20 साल में 16 न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाए जाने हैं। सोन्ज कहते हैं, “बड़ी सरकारी कंपनियां, जैसे सऊदी अरामको इसमें बहुत निर्णायक भूमिका निभा रही है. अरामको निश्चित रूप से उन्नत न्यूक्लियर एनर्जी के मामले में एक अहम खिलाड़ी साबित होगी।