ख़ुद साख़ता मुस्लिम क़ाइदीन की इश्तिआल अनगीज़यां, अज़ला के मुसलमानों में तशवीश

हैदराबाद।31 दिसंबर: कांग्रेस से देरीना रिफ़ाक़त तोड़ लेने वाली मुस्लिम जमात के एक रुकन असेंबली का ज़बान का टांका टूटना अज़ला के मुसलमानों में अनुदेशों और ख़दशात को जन्म दे रहा है कि कहीं उन्हें हैदराबादी लीडर की ज़बान दराज़ी का ख़मियाज़ा तो भुगतना नहीं पड़ेगा।

चीफ मिनिस्टर एन किरण कुमार रेड्डी को अपने मुतालिबात तस्लीम करने में टाल मटोल करने पर सबक़ सिखाने और कांग्रेस क़ियादत को ये जताने के लिए कि आइन्दा चुनाव में आंध्र प्रदेश के मुसलमानों को कांग्रेस से मुतनफ़्फ़िर करदिया जाएगा, शहर की जमात ने कई वाहिद रुकनी नाम निहाद मिली तनज़ीमों के ख़ुद साख़ता सरबराहों के हमराह अज़ला के दौरे करते हुए जलसों का आग़ाज़ किया है।

इन जलसों में मुस्लिम सयासी जमात पर मुसल्लत ख़ानदान के छोटे भाई अज़ला के जलसों में घंटा दो घंटा माईक सँभालने लगे हैं और मुसलमानों के जज़बात को बरअंगेख़्ता करने और इन में कांग्रेस के ख़िलाफ़ ज़हर घोलने के लिए ना सिर्फ़ तुर्श ज़बान का इस्तेमाल कररहे हैं बल्कि ख़ुद को मुस्लिम परस्त क़रार देने के लिए हदों को फलांगने लगे हैं।

इन तक़ारीर में दूसरे मज़ाहिब के देवी देवताओं, तहवारों और रसूम-ओ-रिवाज की तज़हीक-ओ-तौहीन की जा रही है। होशमन्दी के बजाए देवी देवताओं के नाम लेकर मज़क उड़ाया जा रहा है और ये जतलाने की कोशिश की जा रही है कि इन का कोई बाल बीका नहीं करसकता ताहम इस लीडर की ज़बान दराज़ी को अज़ला के मुसलमान पसंद नहीं करने लगे हैं और उन का संजीदा तबक़ा इस तर्ज़ गुफ़्तगु पर ना सिर्फ़ अफ़सोस का इज़हार कररहा है बल्कि शदीद नापसंदीदगी का इज़हार कररहा है।

निज़ामबाद के मुहम्मद अबदुलक़दीर ने बताया कि निज़ामबाद में की गई तक़रीर के बाद मुसलमानों का ये तास्सुर रहा है कि ये तो धुआँ दार तक़रीर करके चले जाते हैं मगर इस का ख़मियाज़ा हम मुसलमानों को भुगतना पड़ेगा चूँकि मुस्लिम क़ाइद के इज़हार करदा ख़्यालात को हिंदू, हम मुसलमानों के ख़्यालात पर महमूल करने लगते हैं और अपने देवी देवताओं की तौहीन का बदला मुक़ामी मुसलमानों से लेने लगते हैं।

इन का कहना है कि माज़ी में देखा गया है कि मख़सूस जमात के क़ाइदीन की नफ़रत अंगेज़ तक़ारीर के बाद ना सिर्फ़ हमारे दीगर अब्ना-ए-वतन हम से नाराज़ रहने लगे थे बल्कि पुलिस का भी रवैया हमारे तुएं उखड़ा उखड़ा सा रहने लगा था। अक्सर एसा भी हुआ कि इन जलसों के बाद मामूली सा वाक़िया दोनों बिरादरियों में नफ़रत-ओ-इश्तिआल का सबब बिन गया और गिरफ्तारियों के ज़रीये मुसलमानों को इस का भुगतान अदा करना पड़ा।

निज़ामबाद में की गई तक़रीर में बाबरी मस्जिद तनाज़ा और चारमीनार से मुत्तसिल मंदिर के मसले पर ना सिर्फ़ हिन्दुमज़हब के देवी देवताओं की तौहीन की गई बल्के बक़रीद के मौके पर बड़े जानवरों की ज़बती के मसले पर मूसिर नुमाइंदगी में तो नाकाम होगए लेकिन ग़ैर ज़रूरी तौर पर दूसरे मज़हब के अक़ाइद तम्सख़र उड़ाया गया है।

ज़िला नलगुंडा के मुहम्मद राशिद अहमद ने कहा कि एक मुसलमान को ये ज़ेब नहीं देता कि वो दूसरे मज़ाहिब के मानने वालों के देवी देवताओं की तौहीन करे और उन के तहवारों का तम्सख़र अड़ए।

उन्हों ने कहा कि ये क़ाइदीन अपने सयासी मुफ़ाद के लिए मुसलमानों के जज़बात का इस्तिहसाल करने लगे हैं और उन्हें अपना मुफ़ाद मुसलमानों की जान-ओ-माल से ज़्यादा अज़ीज़ है।

उन्हें इस बात की कोई फ़िक्र नहीं होती कि उन के नफ़रत अंगेज़ तक़ारीर के बाइस अज़ला ख़ासकर देही इलाक़ों में जहां मुसलमानों की तादाद हैदराबाद के मुक़ाबिल बहुत ही क़लील होती है, उन्हें दूसरे मज़ाहिब के लोगों की नफ़रत अंगेज़ियों का सामना करना पड़ेगा।

बाअज़ मुक़ामात पर तो एसा भी होता है कि मुसलमानों का गैर महसूस अंदाज़ में समाजी मुक़ातआ शुरू करदिया जाता है तो कहीं मुसलमानों की इबादतगाहों और उन के कारोबार को नुक़्सान भी पहुंचाया जाता है।

उन्हों ने कहा कि एसे क़ाइदीन को मदऊ करने वाले अज़ला के क़ाइदीन की ये ज़िम्मेदारी है कि वो अपने मेहमान मुक़र्रिरीन को पहले से ही इस बात का पाबंद करदें कि वो मसाइल पर गुफ़्तगु करें और सियासत को मज़हब से ख़लत-मलत करते हुए दीगर मज़ाहिब की तज़हीक-ओ-तौहीन से इजतिनाब करें वर्ना हैदराबाद के इन क़ाइदीन का तो कुछ नहीं बिगड़ेगा बल्के देही मुसलमानों को गैर ज़रूरी तौर पर हिरासानी का सामना करना पड़ेगा।