गद्दार कौन , मुसलमान या मायावती ?

दो दिन पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्यसभा और एमएलसी के लिए प्रत्याशियों के नाम तय करने के बाद अपने आवास पर कोआर्डिनेटरों के साथ आगामी विधान सभा चुनाव पर चर्चा करते हुए जो कुछ कहा उसे आप पढ़ें और सोचें कि मुसलमानों की क्या हैसियत है मायावती की नजर में और भाषा से उनके अंदर का भरा ज़हर भी देखिए , जो लोग इस चुनाव में बसपा को समर्थन करने के लिए हाथ पैर मार रहे हैं उनके लिए यह पढ़ना बहुत आवश्यक है।

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मायावती ने कहा है कि “अगर मुसलमान इस बार ग़द्दारी न करे तो प्रदेश में बसपा बहुमत की सरकार बना सकती है , मुसलमान हमेशा बसपा को धोखा देता है हमें इनसे होशियार रहना है ।

Mohd Zahid
Mohd Zahid

इसी लिये मैं राज्यसभा और एमएलसी का पद किसी मुसलमान को नहीं दूँगी। पहले 2017 में मुसलमान बसपा को वोट दे कर वफादारी साबित करे । विधानसभा और लोक सभा में हमने मुसलमानों को टिकट दिये मगर मुसलमानों ने हमें वोट नहीं दिया , पार्टी में जो सिस्टम चल रहा है उससे हट कर किसी को टिकट नहीं दिया जायेगा। समाजवादी पार्टी से आम जनता नाराज़ है मगर मुसलमान आज भी सपा से ही चिपका हुआ है। नसीमुद्दीन मुसलमानों को जोड़ने की ज़िम्मेदारी हर बार लेता है मगर जोड़ नहीं पाता । पता नहीं क्यों ये मुसलमान होने के बावजूद अपनी पैठ मुसलामानों में आज तक नहीं बना पाया,2007 में हमने बहुमत की सरकार बनाई और नसीमुद्दीन को कई महत्वपूर्ण विभागों का मंत्री बना कर पूरा पावर दिया फिर भी ये मुसलमानों को बसपा से जोड़ने में असफल रहा है।2014 के लोकसभा चुनाव में मुज़फ्फरनगर दंगों के बावजूद मुसलमानों ने सपा को ही वोट दिया।इसलिए इनपर भरोसा नहीं किया जा सकता हमने सारे विकल्प खुले रक्खे हैं। 125 सीटों पर उतारे गए मुस्लिम उम्मीदवार ही हमारी सरकार बनवायेंगे। क्योंकि अगर इन सीटों पर बसपा नहीं जीती तो कम से कम सपा उम्मीदवार तो हार जायेगा।इन सीटों पर या तो बसपा या फिर भाजपा जीतेगी हमारा लक्ष्य भाजपा को नहीं सपा को हराना है , कांग्रेस को मुसलमानों ने ही कमज़ोर किया आज की स्थिति में यूपी में कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाएगी अगर हम सरकार नहीं बना पाये तो कोई नहीं बना पायेगा भाजपा को मजबूरन बसपा की ही सरकार बनवानी पड़ेगी। दलित बसपा के साथ हमेशा एकजुट रहा है ये कभी गुमराह नहीं होता , मौजूदा विधायकों के टिकट नहीं कटेंगे अगर वो क्षेत्र में काम करें मेहनत करें , अगले माह घोषित प्रत्याशियों को समीक्षा की जायेगी ।कमज़ोर प्रत्याशी बदले जायेंगे”
यदि मायावती की रणनीति आप यह पढ़कर अब भी समझ नहीं पाए तो कुछ सेकंड का यह वीडियो देखिए।

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मायावती मुसलमानों को गद्दार कह रहीं हैं यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्युँकि उनके मान्यवर कांशीराम मुसलमानों को पहले ही गद्दार कह चुके हैं। पर हकीकत में गद्दार है कौन ? आईए कुछ तथ्य से समझते हैं , गद्दार वह होता है जो विश्वासघात करता है धोखा देता है । तो मायावती का इतिहास जरा देखिए और सोचिए कि यह किस तरह गद्दार नहीं हैं और मुसलमान क्युँ इनपर भरोसा करे वोट दे ?
कांशीराम , मायावती को उत्तर प्रदेश की राजनीति में लेकर तब आए जब बसपा कुछ विधायकों की पार्टी हो गयी थी और बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उत्तर प्रदेश में 4 दिसम्बर 1993 को मुलायम सिंह यादव बसपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने थे ।
यहाँ से शुरू होता है मायावती की गद्दारी का इतिहास , मायावती की टाॅप 10 गद्दारी का उदाहरण देखें।
गद्दारी नंबर 1- मायावती ने मुलायम सिंह से गद्दारी की और भाजपा के साथ जुगलबंदी करती रहीं और अपनी ही समर्थित सरकार के विरुद्ध साजिश करती हुई 2 जून 1995 को गेस्ट हाऊस में रंगे हाथ भाजपा नेताओं के साथ पकड़ी गयीं , हंगामा हुआ और रात में ही मुलायम सिंह यादव सरकार से समर्थन वापस ले कर अगले दिन बाबरी मस्जिद विध्वंस करने वाली तथा दंगों में मुसलमानों का कत्लेआम करने वाली भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बनीं।
गद्दारी नंबर 2- मायावती उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री रहते लालजी टंडन को अपना भाई बनाती हैं और राखी बाँधती हैं , हाथों से मिठाई खाने खिलाने की फोटो खिंचवाती हैं पर जब भाजपा उनकी सरकार से समर्थन 18 अक्टूबर 1995 को वापस ले लेती है तो वही भाई दुश्मन हो जाता है। राखी के संबंधों के प्रति ऐसी गद्दारी आपने कभी नहीं देखी होगी।
गद्दारी नंबर 3 – 1 जून 1996 का दिन और संसद का वह दृश्य याद कीजिए जब 13 दिन की अटलबिहारी बाजपेयी की सरकार विश्ववासमत प्राप्त कर रही थी तो समर्थन का वादा करके यही मायावती संसद में यह कहते हुए पलट गयीं कि “अटल बिहारी बाजपेयी मेरा यह थप्पड़ आपको जीवन भर याद रहेगा” अटल बिहारी बाजपेयी सरकार 1 वोट से विश्वासमत हार गयी और यह वोट मायावती का ही था।
गद्दारी नंबर 4- 21 मार्च 1997 को फिर मायावती उसी भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बनती हैं तो राखी बाँध कर भाई का संबंध बनाए लालजी टंडन को भूल जाती हैं और आज तक भूली हुई हैं।
गद्दारी नंबर 5- 3 मई 2002 में मायावती फिर भाजपा के ही समर्थन से सरकार बनाती हैं और तब तक मुसलमानों का वोट उनको प्राप्त हो चुका था और वह गुजरात दंगों में 2500 मुसलमानों के हत्या के आरोपी नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार के लिए गुजरात जाती हैं।
गद्दारी नंबर 6- जिस मान्यवर कांशीराम ने उनको राजनैतिक जन्म दिया उनके ही परिवार वालों के साथ गद्दारी की , कांशीराम के साथ गद्दारी की और स्वघोषित अध्यक्ष बन कर बसपा पर कब्जा कर लिया।
गद्दारी नंबर 7- कांशीराम के एक एक विश्वसनीय लोगों को चुन चुन कर पार्टी से धकिया कर बाहर कर दिया , जिन लोगों ने बसपा को अपने जी जान से सीच कर बड़ा किया उनके साथ मायावती ने गद्दारी करके उनकी राजनैतिक हत्या कर दी।
गद्दारी नंबर 8 :- मायावती तो अपने उन दलित समाज की भी गद्दार हैं जिनके 21 % वोट लेकर सत्ता की मलाई खाती रही हैं , दलित समाज में खुद को देवी के रूप में महिमामंडित करतीं , पुजवातीं मायावती ने दलित आंदोलन को ही कुचल कर रख दिया , दलित अब भी उसी स्थिति में है या केन्द्र सरकार के दिए आरक्षण के कारण कुछ बेहतर स्थिति में है।
गद्दारी नंबर 9 :- अपने धर्म से ही मायावती ने गद्दारी की और “तिलक तराजू और तलवार , इनको मारो जूता चार” का नारा देती रहीं।
गद्दारी नंबर 10 :- जूता मारते मारते उन्हीं तिलक तराजू और तलवार वालों की गोद में बैठकर उस नारे के साथ गद्दारी की।
गद्दार कारनामों का इतिहास रखे मायावती यदि मुसलमानों को गद्दार कहती हैं तो उनके अंदर का ब्राह्मणवादी जहर ही दिखता है जो यह भी नहीं देखता कि वोट किसे दे और किसे नहीं यह देश के हर नागरिक का अधिकार है , वोट किसी को ना देना मुसलमानों का लोकतांत्रिक अधिकार है , और गद्दारी का इतिहास रखने वाली मायावती खुद अपना इतिहास देखें और सोचें कि मुसलमान उनको क्युँ नहीं वोट देता , उनकी गद्दारी से खंडित हो गये विश्वास को मुसलमानों से माफी माँग कर कायम करें , हम तो कट मर कर भी कांग्रेस और मुलायम के साथ रहते हैं इसलिए मायावती जी वफादारी आपको साबित करनी होगी मुसलमानों से क्युँकि गद्दारी का इतिहास आपका है हमारा नहीं।
सोचिएगा कि 21% वोटों की मालकिन अन्य 21% वोटों (मुसलमानों) को कैसे और किस हिम्मत से गद्दार कह रही है ? क्युँकि उनका 21% एकजुट है और हम बिखरे हुए , एक होते तो कालर पकड़ कर पूछ लेते कि कौन है गद्दार ??

आर्टिकल सिआसत हिंदी के लियें मौहम्मद जाहिद द्वारा लिखा गया है