गिलानी सुप्रीम कोर्ट में हाज़िर ,आरिज़ी राहत

ईस्लामाबाद, २० जनवरी (पी टी आई) पाकिस्तान के बोहरान से दो-चार वज़ीर-ए-आज़म यूसुफ़ रज़ा गिलानी आज सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। उन्हों ने कहा कि वो अदलिया का बेहद एहतेराम करते हैं और किसी तरह की तहक़ीर के इर्तिकाब का तसव्वुर भी नहीं कर सकते, लेकिन वो अपने इस मौक़िफ़ पर क़ायम हैं कि हुकूमत, सदर आसिफ़ अली ज़रदारी के ख़िलाफ़ क्रप्शन के ख़िलाफ़ दुबारा नहीं खोल सकती क्योंकि उन्हें मुकम्मल तहफ़्फ़ुज़ हासिल है।

जस्टिस नासिर-उल-मुल़्क की ज़ेर-ए-क़ियादत सात जजस पर मुश्तमिल बेंच के रूबरू आज यूसुफ़ रज़ा गिलानी पेश हुए। इस से क़बल अदालत ने उन्हें तहक़ीर अदालत की नोटिस जारी करते हुए हाज़िर होने का हुक्म दिया था। इस की तामील में आज वो अदालत में पेश हुए और इस वक़्त उन्हें क़दरे राहत मिली जब अदालत ने समाअत की यक्म फरवरी तक मुल्तवी कर दी और साथ ही मुस्तक़बिल की तारीख़ में उन्हें शख़्सी हाज़िरी से इस्तिस्ना दे दिया।

गिलानी मुल्क के दूसरे वज़ीर-ए-आज़म हैं जिन्हें तहक़ीर अदालत के मुआमले में इस तरह पेश होना पड़ा, वो आज सरकर्दा वकील इमतियाज़ अहसन बैरिस्टर के हमराह हाज़िर हुए। इस मौक़ा पर 59 साला गिलानी ने कहा कि वो तहक़ीर अदालत के इर्तिकाब का तसव्वुर भी नहीं कर सकते, क्योंकि वो अदलिया का बेहद एहतेराम करते हैं।

बेंच ने गिलानी के शख़्सी तौर पर अदालत में हाज़िर होने के फ़ैसले की सताइश की। जस्टिस आसिफ़ खोसा रुकन बेंच ने कहा कि इन की हाज़िरी से क़ानून की बरतरी का इज़हार होता है, ताहम अदालत ने इस ताल्लुक़ से कई सवालात उठाए कि माज़ी में हुकूमत ने इस के अहकामात की तामील क्यों नहीं की, बिलख़सूस स्विटज़रलैंड में आसिफ़ अली ज़रदारी की दौलत के ताल्लुक़ से मुक़द्दमात का अहया क्यों नहीं किया गया।

क़ौमी मुसालहती आर्डीनेंस के ज़रीया आसिफ़ ज़रदारी को इन तमाम मुक़द्दमात में तहफ़्फ़ुज़ फ़राहम किया गया था। ये आर्डीनेंस साबिक़ सदर परवेज़ मुशर्रफ़ ने 2009 में जारी किया था। यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने हुकूमत का मौक़िफ़ वाज़िह करते हुए कहा कि पाकिस्तान के दस्तूर में सदर को अंदरून-ओ-बैरून-ए-मुल्क मुकम्मल तहफ़्फ़ुज़ फ़राहम किया गया है।

इसके इलावा दुनिया भर में तमाम सदूर को इसी तरह का तहफ़्फ़ुज़ फ़राहम किया जाता है। उन्हों ने बेंच के रूबरू तक़रीबन 5 मिनट अपनी सफ़ाई पेश की। गिलानी के वकील अहसन जो पाकिस्तान के सरकर्दा माहिरीन क़ानून में शुमार किए जाते हैं, बेंच को बताया कि सदर को मुल्क के दस्तूर और वीना कनवेंशन के तहत मुकम्मल तहफ़्फ़ुज़ हासिल है।

उन्हों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को चाहीए कि वो हकूमत-ए-पाकिस्तान पर सोइज़ हुकूमत को मकतूब तहरीर करने के लिए इसरार ना करे वर्ना ये एक मज़ाक़ बन जाएगा और एक ऐसी सूरत-ए-हाल पैदा होगी जिस का कोई हल नहीं क्योंकि सोइज़ हुक्काम यही जवाब देंगे कि वो ज़रदारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं कर सकते क्योंकि वीना कनवेंशन के तहत उन्हें मुकम्मल तहफ़्फ़ुज़ फ़राहम है।

बेंच ने जब अहसन से ये पूछा कि क्या हुकूमत उस वक़्त सोइज़ हुक्काम से रब्त क़ायम करेगी जब ये साबित होजाए कि सदर को तहफ़्फ़ुज़ फ़राहम नहीं। इस पर अहसन ने कहा कि उन्हें इस मुआमले में रिकॉर्ड्स का जायज़ा लेने के लिए एक माह का वक़्त चाहीए, लेकिन बैंच ने उन्हें यक्म फरवरी को आइन्दा समात के वक़्त तफ़सीली जवाब पेश करने की हिदायत दी।

अहसन ने अदालत को बताया कि फ़िलहाल तहक़ीर अदालत के मामले पर बहस की जा रही है और वो अपने मुवक्किल के दिफ़ा में ये दलील पेश करना चाहते हैं कि वज़ीर-ए-आज़म ने तहक़ीर अदालत का इर्तिकाब नहीं किया। जहां तक अदालत के माज़ी के अहकामात पर कार्रवाई ना करने का सवाल है , इस की वजूहात के बारे में ला सैक्रेटरी तफ़सील बता सकते हैं।

समात मुकम्मल होने के बाद अहसन ने अख़बारी नुमाइंदों से बातचीत करते हुए कहा कि उन्हों ने अदालत को ये बताने की कोशिश की है कि दस्तूर की दफ़ा 248 के तहत सदर को मुकम्मल तहफ़्फ़ुज़ हासिल है।

वज़ीर-ए-आज़म यूसुफ़ रज़ा गिलानी की अदालत में हाज़िरी के ताल्लुक़ से काफ़ी वावेला मचाया गया लेकिन आज की सारी कार्रवाई तक़रीबन डेढ़ घंटा में पाया-ए-तकमील को पहुंच गई। समाअत के बाद वुकला के एक ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट के बाब अलद अखिला के बाहर अफ़रातफ़री का आलम पैदा करदिया था। उन्हों ने अदलिया की ताईद और अहसन की मुख़ालिफ़त में नारे लगाए।

वज़ीर-ए-आज़म के स्कियोरटी दस्ता ने इन से अदालत के दूसरे रास्ता से बाहर जाने की ख़ाहिश की, क्योंकि वुकला एहतिजाज कर रहे थे लेकिन उन्हों ने बाब अल्द अखिला से ही वापस होने पर इसरार किया। बादअज़ां वो सफेद एस यू वि में वज़ीर-ए-दाख़िला रहमान मलिक के हमराह रवाना हो गए।

क़ब्लअज़ीं पाकिस्तान के हुकमरान इत्तेहाद में शामिल कई सरकर्दा क़ाइदीन बिशमोल वफ़ाक़ी वुज़रा सुप्रीम कोर्ट के बाहर गिलानी की ताईद में जमा हो गए थे, इन में वज़ीर-ए-ख़ारजा हिना रब्बानी खुर, वज़ीर-ए-दाख़िला रहमान मलिक, अवामी नैशनल पार्टी के सरबराह असफंदयार वली ख़ां और पी एम एल (कियु) के सरबराह चौधरी शुजाअत हुसैन के इलावा गवर्नर पंजाब लतीफ़ खोसा शामिल हैं।

आज सुप्रीम कोर्ट के बाहर स्कियोरिटी के ग़ैरमामूली इंतिज़ामात किए गए थे, जिस वक़्त गिलानी का क़ाफ़िला सड़क के ज़रीया गुज़र रहा था, उस वक़्त हेलीकाप्टर के ज़रीया फ़िज़ाई निगरानी भी की जा रही थी।

वज़ीर-ए-आज़म ने अदालत के बाहर मौजूद हुजूम को हाथ लहराकर जवाब दिया और अहाता अदालत में दाख़िल हो गए।