गुलशन कॉलोनी के नौजवानों की हिम्मत को सलाम, क़ुतुब शाही मस्जिद को आबाद करके ही दम लिया

अल्लाह अज़्ज़-व-जल जिन को हिदायत देते हैं वही बंदे नेक कामों में आगे आगे रहते हैं। दरअसल ये ऐसे लोग होते हैं जिन्हें ख़ालिक़ काइनात मुबारक कामों के लिए मुंतख़ब कर लेता है। अल्लाह ताला के ऐसे ही चंद बंदों ने गुंबदान क़ुतुब शाही (सात गनबदों) के अक़बी हिस्सा में वाक़े क़दीम-ओ-तारीख़ी क़ुतुब शाही मस्जिद को आबाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

गुंबदान क़ुतुब शाही की बाउनडरी वाल से मुत्तसिल ये मस्जिद जिसे अब गुलशन कॉलोनी के मकीनों ने मस्जिद नूर का नाम दिया है अरसा-ए-दराज़ से गैरआबाद थी और इस मस्जिद को गैरआबाद रखने में रियास्ती महिकमा आसारे-ए-क़दीमा ने इंतिहाई मनफ़ी रवैय्या इख़तियार किए हुए था।

ताहम गुलशन कॉलोनी के नौजवानों ने अल्लाह का नाम लेकर इस गैरआबाद मस्जिद को आबाद करने की ठान ली और अल्लाह अज़्ज़-ओ-जल ने उन की कोशिशों को बिलआख़िर कामयाबी से हमकनार किया। क़ारईन जो काम ख़ुलूस-नीयत और शख़्सी मफ़ादात से बालातर होकर किया जाता है, अल्लाह ताला इस काम में ना सिर्फ़ बरकत अता फ़रमाते हैं बल्कि कामयाबी भी अता करते हैं।

रोज़नामा सियासत ने तारीख़ी शहर हैदराबाद और मज़ाफ़ाती इलाक़ों में वाक़े गैरआबाद मसाजिद को आबाद करने की एक मुहिम शुरू की है और इस मुहिम के ख़ातिरख़वाह नताइज भी बरामद हुए हैं। बहरहाल मुक़ामी अफ़राद की अनथक कोशिशों को अल्लाह ताला ने कामयाबी से हमकनार किया और 28 दिंमबर को पूरे एक साल बाद नमाज़ जुमा से क़बल एक गेट नसब करदी गई जबकि एक ख़ूबसूरत वुज़ू ख़ाना भी तामीर किया गया।

बहरहाल गुलशन कॉलोनी के नौजवानों ने जज़्बा-ए-ईमानी का मुज़ाहरा करते हुए अपने सजदों से एक ग़ैर आबाद मस्जिद को ना सिर्फ़ आबाद किया बल्कि उस की किसी क़दर तज़ईन नौ भी की। ऐसे में ये नौजवान इन इलाक़ों के मुस्लमानों के लिए एक सबक़ है ।
राक़िम उल-हरूफ़ को अल्लाह ताला से पूरी पूरी उमीद है कि बाक़ी ग़ैर आबाद मसाजिद भी इंशाअल्लाह जलद आबाद होजाएंगी और उन की मीनारों से अजानें गूंजेंगी।