चीफ़ मिनिस्टर का शिकायती मौक़िफ़

आंधरा प्रदेश असेंबली में चीफ़ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी की हिक्मत-ए-अमली पर काबीनी वुज़रा और कांग्रेस के सीनीयर अरकान की नाराज़गी और मायूसी के दरमयान चीफ़ मिनिस्टर ने अपोज़ीशन और सहाफ़त के ताल्लुक़ से अपना शिकायती नोट पेश करके ये ज़ाहिर कर दिया कि उन्हें हुक्मरानी के अहम गुरु नहीं आते।

जो चीफ़ मिनिस्टर अपनी नादानियों की वजह से ऐवान असेंबली में अपोज़ीशन की तन्क़ीदों का शिकार होता है वो मीडीया पर अंगुश्तनुमाई करे तो इसका कोई हल नहीं है। कांग्रेस के क़ाइदीन ने पार्टी की हाईकमान से शिकायत की है कि चीफ़ मिनिस्टर किसी भी मामला में पार्टी क़ाइदीन वुज़रा और दीगर सीनीयर अरकान से मुशावरत नहीं कर रहे हैं।

बजट इजलास में हुकूमत की कारकर्दगी का ठोस सबूत पेश करते हुए हुक्मराँ जमात को अपोज़ीशन और अवाम को मुतमइन करना होता है मगर कांग्रेस हुकूमत की ज़िम्मेदारीयां सँभालने वाले किरण कुमार रेड्डी ने ऐवान में अपोज़ीशन के सवालात का दुरुस्त जवाब देने और इतमीनान बख्श मुबाहिस की ज़िम्मेदारी पूरी करने में लापरवाही की है।

गवर्नमेंट चीफ़ वि हि प और व ह प स का भी तक़र्रुर किसी मुशावरत के बगै़र किया गया जिसके नतीजा में ऐवान के अंदर ना तजुर्बा कार गर्वनमेंट व ह प स की वजह से अपोज़ीशन और सरकारी बंचों के दरमयान कोई ताल मेल नहीं रहा। चीफ़ मिनिस्टर ने मीडीया से शिकायत की कि ऐवान असेंबली में अपोज़ीशन और ऐवान के बाहर सहाफ़त के मिज़ाज की वजह से वो हुक्मरानी के बाअज़ अहम फ़ैसले करने से क़ासिर हैं।

मीडीया ने अवाम में मेरी हुकूमत के ताल्लुक़ से ग़लत तास्सुर देने की कोशिश की है। चीफ़ मिनिस्टर ने गवर्नर के ख़ुत्बा पर तहरीक तशक्कुर का दो घंटे तवील जवाब देते हुए अपनी हुक्मरानी की कारकर्दगी पर ध्यान देने की कोशिश नहीं की इस बजाय अपोज़ीशन और मीडीया की तन्क़ीदों का अहाता किया।

इनकी हुकूमत में ऐसे कई ख़राबियां हैं अवाम को इन ख़राबियों की जानिब तवज्जा दिलाने वाली अपोज़ीशन और मीडीया ने अपना फ़र्ज़ अदा किया है। अवाम के लिए सब से अहम मसाइल बर्क़ी ( बिजली), पानी, महंगाई और रोज़गार हैं। हुकूमत ने उनकी यकसूई का कोई जामि मंसूबा पेश नहीं किया।

उन्होंने ऐवान में सिर्फ ब्यान दिया है कि वो अवाम की बहबूद किसानों की तरक़्क़ी के लिए कई तजावीज़ रखते हैं। असेंबली का बजट इजलास 31 मार्च तक जारी रहेगा। इन तमाम काम के दिनों में चीफ़ मिनिस्टर को मौक़ा हासिल है कि वो अवामी बहबूद के प्रोग्रामों का ऐलान करके इस पर अमल करें। साबिक़ प्रोग्रामों की तकमील और इसकी कारकर्दगी का सबूत पेश करें।

मगर ऐवान में अपोज़ीशन से राह फ़रार इख्तेयार करने की कोशिश करने वाले चीफ़ मिनिस्टर को अपने मुहासिबा की भी फ़िक्र नहीं है। रियासत में अवाम के मसाइल जूं ( ज्यों) के तूं ( त्यों) हैं। अक़ल्लीयतों के लिए मुक़र्ररा बजट पर नाराज़गीयाँ पाई जाती हैं। मुस्लिम नौजवानों के ख़िलाफ़ रूडी शीट्स खोले जाने और उन पर ज़ुल्म-ओ-ज़्यादती की शिकायात का अंबार है।

तेलंगाना में नाइंसाफ़ीयों का लामतनाही सिलसिला जारी है। हुकूमत है कि इन मसाइल की संजीदगी और नज़ाकत का एहसास करने के बजाय शिकायती मौक़िफ़ इख्तेयार कर रही है। चीफ़ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी ने अवामी मसाइल की यकसूई के लिए रचा बंडा प्रोग्राम तो किया है अब यही रचा बंडा प्रोग्राम उनकी हुकूमत की ख़राबियों के तज़किरा की नज़र हो रहा है।

गावों के चौपालों और शहर के अवामी फ़िक्र की महफ़िल में चीफ़ मिनिस्टर की कारकर्दगी का जायज़ा लिया जा रहा है। हुकूमत की संजीदगी का मुशाहिदा करते हुए ये अंदाज़ा किया जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी ने वाई एस आर की वफ़ात के बाद अपनी कद्रें इसी हाथों में सौंपी हैं जो सयासी अफ़रातफ़री के माहौल में अपनी ज़िम्मेदारीयां किसी और के सर थोपने की कोशिश करते हैं।

चीफ़ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी के लिए वक़्त है कि वो अपने इर्दगिर्द के हालात का जायज़ा लें और कांग्रेस क़ाइदीन वुज़रा की नाराज़गी का नोट लेकर ज़िमनी इंतेख़ाबात में अवाम के हक़ीक़ी मसाइल की यकसूई के लिए ठोस क़दम उठाएं। इनकी हुकूमत में या माज़ी के हुक़्मरानों की ग़लतीयों से महकमा पुलिस में मुतासबाना गोशों की हौसला अफ़्ज़ाई की जा रही है उसे मुतअस्सिब ओहदेदारों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करें।

बेक़सूर मुस्लिम नौजवानों की रूड़ी शीट्स बंद करके पुराने शहर में रात 10 बजे के बाद पुलिस की ज़्यादतियों का नोट लिया जाए। एक ही शहर के अंदर पुलिस के ला ऐंड आर्डर का मसला जांबदाराना हो तो अवाम की नाराज़गी एक दिन हुकमरानों की नाकामी का मूजिब बन जाती है।

सवाल ये है कि चीफ़ मिनिस्टर अपने नाम को दो चार अख़बारी सुर्ख़ीयों या टी वी चैनलों के हेडलाइन्स की भेंट चढ़ाना चाहते हैं। अगर उन्हें अपोज़ीशन और मीडीया से शिकायत है तो इस का जायज़ा लेना इनका काम है कि आख़िर उन्हें अपोज़ीशन और मीडीया से ये शिकायत क्यों कर  रही है।

शहर में ग़ुंडों, नाम निहाद आमिलों का राज है। अवाम इनसे परेशान हैं। इस पर सोने पे सुहागा ये है कि पुलिस भी अवाम को तंग करने लगी है। इसमे चीफ़ मिनिस्टर की बेबसी का ये हाल है कि वो ख़ुद अपनी शिकायतों का काउंटर खोले भीटे हैं।

अगर इनका रवैय्या यूं ही बरक़रार रहे तो आवामी मसाइल बढ़ते जाऐंगे सूरत-ए-हाल बिगड़ते रहेंगे और फिर हुकूमत की नाएहली और बेबसी ज़रब-उल-मसल बन जाएगी। कांग्रेस के क़ाइदीन और काबीनी वुज़रा अपनी ही हुकूमत में ही ये मातम कर रहे हैं कि हम अपनी शिकायत किस को सुनाए। किससे बात करें और किस पर भरोसा करें कहने का मक़सद ये है कि चीफ़ मिनिस्टर को शिकायती मौक़िफ़ इख्तेयार करने के बजाय अभी वक़्त और मौक़ा है बातचीत का दरवाज़ा खुला है हिक्मत-ए-अमली के ज़रीया अपोज़ीशन को एतेमाद में लेकर अपनी पार्टी के अरकान की शिकायात के साथ अवामी मसाइल की यकसूई के लिए ठोस क़दम उठाएं।