जज के रूबरू खड़े रहने पर तौहीन महसूस हुई

वाशिंगटन, 31 मार्च: ( पी टी आई ) साबिक़ पाकिस्तानी सदर परवेज़ मुशर्रफ़ जिन की पाकिस्तानी वापसी के बारे में शकूक-ओ-शुबहात पाए जा रहे थे और जिन्होंने बिल आख़िर पाकिस्तान पहुंच कर उन शुबहात को ख़त्म कर दिया। उन्होंने कहा कि हालिया दिनों में कराची की एक अदालत में जब उन्होंने ज़मानत माक़बल गिरफ़्तारी की मुद्दत में तौसीअ के लिए हाज़िरी दी थी तो उस वक़्त जज साहब जब कमरा-ए-अदालत में हाज़िर हुए तो उन्हें ( मुशर्रफ़) जज के सामने खड़े रहने पर अपनी तौहीन का एहसास हुआ ।

याद रहे कि 69 साला मुशर्रफ़ जिन्होंने पाकिस्तान पर तकरीबन दस साल तक हुकूमत की । उन्होंने फ़ौजी बग़ावत के ज़रीया उस वक़्त के वज़ीर-ए-आज़म नवाज़ शरीफ़ की हुकूमत का तख़्ता पलट दिया था । कराची की अदालत में मुशर्रफ़ ने अपनी ज़िंदगी में पहली बार हाज़िरी दी । उन्होंने कहा कि ज़िंदगी में ऐसा पहली बार हुआ है जब उन्होंने किसी कमरा-ए-अदालत में क़दम रखा हो ।

उन्होंने कहा कि अगर आप ( मीडिया नुमाइंदे ) ये जानना चाहते हैं कि हक़ीक़तन उन के एहसासात क्या थे तो सुन लीजिए कि अदालत में जिस वक़्त जज दाख़िल हुए और उन के एहतेराम में वहां मौजूद सब को खड़ा होना पड़ा जैसा कि तरीका है , उस वक़्त ख़ुद मैं भी खड़ा हो गया और बिलकुल उसी वक़्त मुझे वहां अपनी तौहीन महसूस हुई लेकिन दूसरे ही लम्हा मुझे वो बात याद आ गई जो मैं अक्सर कहा करता था कि क़ानून की नज़रों में सब बराबर हैं। मैने पुरएतेमाद लहजा में कहा कि उन के ख़िलाफ़ कोई ऐसी फ़र्द-ए-जुर्म आइद नहीं की गई है ।