जब संजय दत्त ने कहा था- मेरे रगों में भी मुस्लिम का खून दौड़ रहा है..?

संजय दत्त को उनके शुरुआती दिनों से ही बॉलीवुड के बैड बॉय के नाम से जाना जाता है. हालांकि बाद के दिनों में कुछ और नाम उभरकर सामने आए, जिनमें संजू को पछाड़ने का माद्दा था. लेकिन ऐन वक्त पर संजय ने एक ऐसा बड़ा कांड कर दिया कि बाकिय़ों के सारे बचे-खुचे चांस जाते रहे. नाम में क्या ही रखा है. बात संजय की कारगुजारियों की. ये शुरुआत है. आगे इसकी और भी कड़ियां आपको पढ़ने को मिलेंगी. तो ये रही पहली कड़ी.

मुंबई ब्लास्ट के बाद पुलिस जोर-शोर से इसके पीछे होने वाले लोगों की तलाश में थी. किसी तरह पुलिस को खबर लगी कि इसमें बॉलीवुड के भी कुछ लोग शामिल हैं. पुलिस ने शक के आधार पर हनीफ कड़ावाला और समीर हिंगोरा की प्रोड्यूसर जोड़ी में से हनीफ को पूछताछ के लिए माहिम पुलिस स्टेशन बुलाया. ये जोड़ी उस वक्त संजय दत्त की फिल्म ‘सनम’ प्रोड्यूस कर रही थी. हनीफ ने पहले तो इस ब्लास्ट में किसी तरह का हाथ होने से इनकार किया लेकिन माहौल को भांपते हुए उसने अपनी गलती कबूल कर ली. इस सब के बीच उसने विक्टिम कार्ड खेलते हुए पुलिस को कह दिया कि पुलिस तो हमेशा हम जैसी छोटी मछलियों को परेशान करती है. बड़े लोग तो यूं ही खुले घूमते रहते हैं.

इस बड़े आदमी का नाम संजय दत्त निकला. पुलिस ने किसी फैसले तक पहुंचने से पहले मामले की तह में जाने की सोची. लेकिन उसके पहले उन्हें प्रेस से गुज़रना था. मुंबई ब्लास्ट के बाद ये अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस होने वाली थी. यहां संदिग्धों के नाम सामने आने थे. कॉन्फ्रेंस में जैसे ही पुलिस ने हनीफ-समीर का नाम लिया, एक रिपोर्टर ने पूछ लिया कि क्या इसमें संजय दत्त भी शामिल हैं. ये महज़ एक तुक्का फिट करने की कोशिश थी क्योंकि संजय उस वक्त हनीफ-समीर के साथ काम कर रहे थे. मगर पुलिस के टाल-मटोल वाले रवैये से प्रेस के हाथ बहुत बड़ी खबर लग गई थी.

उस वक्त संजय दत्त मॉरिशस में संजय गुप्ता की फिल्म ‘आतिश’ की शूटिंग कर रहे थे. प्रेस कॉन्फ्रेंस के अगले दिन ये खबर हर अखबार के फ्रंट पेज पर छपी थी. जैसे ही संजय को ये बात मालूम चली उन्होंने शूट छोड़कर इंडिया आने की बात कही. लेकिन पुलिस ने उन्हें कहा कि वो तयशुदा समय पर ही इंडिया आएं. संजय 19 अप्रैल, 1993 को तड़के 2:15 पर मुंबई के सहर एयरपोर्ट पर पहुंचे. वो बाहर निकल ही रहे थे कि उनकी आंखें चौंधिया गईं. उन्होंने देखा कि सामने करीब सौ पुलिस वाले उनकी ओर बंदूक ताने खड़े हैं.

उन्हें एयरपोर्ट से सीधे बांद्रा स्थित मुंबई क्राइम ब्रांच ले जाया गया. वहां रखने के बाद उन्हें सुबह क्रॉफोर्ड मार्केट पुलिस हेडक्वॉर्टर ले जाया गया. यहां पूछताछ में संजय ने पहले तो सभी आरोपों से पाक-साफ निकलने की कोशिश की लेकिन जैसे ही उनके सामने हनीफ-समीर को लाकर खड़ा किया गया, उनके पास बोलने को कुछ नहीं था. उन्होंने एके-56 रखने वाली बात कुबूल कर ली. इसके बाद उन्होंने वो पूरा घटनाक्रम बताया कि वो हथियार उनके पास कैसे आया था और उनके अंडरवर्ल्ड से संबंध कैसे थे. इतने सब के बाद उन्हें TADA (Terrorist and Distruptive Activities) एक्ट के तहत बुक कर दिया गया. संजय को जब बताया गया कि उन पर टाडा लगाया गया है, तो वो चौंक गए क्योंकि उन्हें इसके बारे में कुछ पता ही नहीं था. जब पुलिस ने बम ब्लास्ट केस के नाम से बताया तब जाकर उन्हें समझ आया कि वो फंस चुके हैं.

जब संजय से मिलने उनके पापा सुनील दत्त आए तो उन्हें यही विश्वास नहीं हो रहा था कि उनका बेटा किसी बम ब्लास्ट का दोषी हो सकता है. पुलिस ने ये बात उन्हें बता दी थी लेकिन वो ये संजय के मुंह से सुनना चाहते थे. यहां संजय ने उन्हें बताया कि उनके पास दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस के दिए कुछ हथियार थे. सुनील दत्त ने पूछा, क्यों थे. इस पर संजय ने कहा, ‘मेरी रगों में भी मुस्लिम का खून दौड़ रहा है. शहर में जो कुछ भी हो रहा है, मैं वो सब और बर्दाश्त नहीं कर सकता.’ संजय का इशारा अपनी मां और सुनील दत्त की पत्नी नर्गिस की तरफ था. बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद मुंबई में लगातार दंगे हो रहे थे.

संजय का ये जवाब सुनकर पहले तो सुनील को विश्वास ही नहीं हुआ, क्योंकि शायद उन्हें संजय से ऐसा कुछ सुनने की उम्मीद नहीं थी. संजय की बात सुनकर वो एकदम हिल गए और आंख में आंसू लिए पुलिस स्टेशन से बाहर निकल गए. वो अपने बेटे के किए पर बहुत शर्मिंदा थे. उन्हें यकीन ही नहीं हो पा रहा था कि संजय ऐसा कुछ भी कर सकते हैं.

ये किस्सा हमने एक किताब से लिया है.

किताब का नाम: द क्रेजी अनटोल्ड स्टोरी ऑफ बॉलीवुड्स बैड बॉय संजय दत्त
प्रकाशक: जगरनॉट पब्लिकेशन
लेखक: यासिर उस्मान
कीमत: 499 रुपए (ऑनलाइन ये किताब आपको 300 रुपए के आसपास मिल जाएगी).

 

साभार- thelallantop.com