जरूर पढ़ें: वो आख़िरी लम्हें जब भारत हार रहा था – रविश कुमार

रात के दस बज रहे थे। दिल्ली के निज़ामुद्दीन ब्रिज वाले रास्ते पर कारें अपने आप चली जा रही हैं। कोई कार किसी से आगे नहीं निकलना चाहती है। न कोई दायें से निकल रही है न बायें से। सब एक दूसरे के पीछे होती लग रही हैं। दौड़ने की जगह डगर रही हैं। आमतौर पर इस वक्त निज़ामुद्दीन ब्रिज पर कारें भागती हैं। आज उन्हें कहीं पहुंचने का मन नहीं कर रहा। मैं अगल-बगल की कारों में ताकझांक करने लगा। चालकों के चेहरे उड़े हुए हैं।

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भारत की स्थिति ख़राब होने लगी है। सिमन्स का हर शॉट धड़कनों को डरा दे रहा था। कारों के भीतर रेडियो पर आ रही कमेंट्री ने सबको खामोश कर दिया। सामने की कार में मैडम की पतली सी हथेली अपने पति या दोस्त के हेड-रेस्ट पर थपथपाने लगी। उंगलियों की थाप से पता चल रहा था कि कोई लय नहीं है। बेचैन हैं उनकी उंगलियां। 20 गेंदों में चालीस रन बनाने हैं। कमेंटेटर के इस एलान ने कारों की रफ्तार और धीमी कर दी।

सड़क पर सन्नाटा पसरने लगा। कारों से भरी सड़क पर ऐसा सन्नाटा पहली बार महसूस कर रहा था। कोई किसी से आगे निकलने के लिए ज़ोर-ज़ोर से हॉर्न नहीं बजा रहा था। ऐसा लग रहा था कि ड्राईविंग सीट पर कोई है ही नहीं। कारें किसी पहाड़ी की ढलान से अपने आप धीरे-धीरे उतर रही हैं।
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तभी गाज़ीपुर लाल बत्ती पर कारें रूक गईं। अचानक कमेंटेटर ने कहा कि सिमन्स का कैच बाउंड्री पर पकड़ा गया है। विराट कोहली ने कैच लिया है। स्टेडियम से आने वाली ज़ोरदार आवाज़ से कारों के भीतर का उत्साह बदल गया। बायीं तरफ लगी इनोवा के ड्राईवर के दांत दिखने लगे। दायीं तरफ मर्सिडिज़ में बैठी मोहतरमा ने बालों को जूड़े से आज़ाद कर दिया। बगल में बैठे उनके शौहर या दोस्त ने मुस्कुरा दिया। लाल बत्ती हरी हो गई। कमेंटेटर ने बताया कि सिमन्स आउट नहीं हुए हैं। कारों की रफ्तार फिर धीमे हो गई।

घर पहुंचते ही गेट पर दरवानों के चेहरे उड़े हुए थे। दफ्तर से घर आते वक्त मोहल्ले के मोहल्ले से गुज़रता रहा। मुर्दा शांति छाई हुई थी। बगल की सोसायटी से अंतिम ओवर के स्कोर की आवाज़ आ रही थी। लोग बाहर बड़ा सा पर्दा लगाकर मैच देख रहे थे। जब तक लिफ्ट से ऊपर आता वो आवाज़ भी शांत पड़ चुकी थी। बालकोनी से देखा तो लगा कि लोग आज जल्दी तो नहीं सो गए। आमतौर पर भारत के जीतने पर इन्हीं घरों और खिड़कियों से ज़ोर की आवाज़ आती हैं। सड़कों पर लोग ज़ोर-ज़ोर से हॉर्न बजाने लगते हैं। सड़क का हाल देखकर लगा कि सब नींद में चल रहे हैं।

दुख हुआ। क्रिकेट हम सबको कितना धड़का देता है। कितना खुश कर देता है। कितना हंसा देता है। कितना रूला देता है। मोहल्ले की चुप्पी से पता चल गया कि भारत हार गया है। मैंने अंतिम स्कोर पता भी नहीं किया और यह अंतिम लाइन लिख दी।

मैं क्रिकेट का प्रेमी नहीं हूं। कभी-कभार ही देखता हूं, लेकिन रात के इस सन्नाटे को अपने भीतर महसूस कर रहा हूं। काश अब भी किसी सोसायटी से जीतने की हुंकार की आवाज़ आ जाती। कहीं ऐसा तो नहीं कि मुझे सुनाई नहीं दे रही है। अरे भाई उठिये, बाहर निकलिये और ज़ोर से कहिये, हार गए तो क्या हुआ, ज़िंदाबाद… ज़िंदाबाद। विराट कोहली ज़िंदाबाद। धोनी ज़िंदाबाद। प्यार करते हैं तो हार में भी प्यार कीजिए। वही सच्चा प्यार होता है। खेल से प्यार है तो कह दीजिये वेस्ट इंडीज़ ज़िंदाबाद !

साभार:khabar.ndtv.com/