जानिए, कितने प्रकार के होते हैं डायबिटीज, क्या है इसके लक्षण?

डायबिटीज को लेकर यह आम धारणा है कि यह बीमारी अधिक चीनी खाने से होती है. इस बीमारी से बचने के लिए ज्‍यादातर लोग चीनी खाने से परहेज करने लगते हैं. यदि आप भी इसी धारणा के शिकार हैं तो आपके लिए जरूरी सूचना है.

दरअसल, डायबिटीज के अलग अलग प्रकार होने की वजह से इस बीमारी के होने के कारण भी अलग अलग होते हैं. कभी यह बीमारी ऐसे दवाओं के सेवन से होती है, जिनके चलते शरीर में इंसुलिन बनना कम हो जाता है. वहीं, कई बार आपको यह बीमारी अपने पूवर्जों से मिल जाती है. आइए आपको बताते हैं कि डायबिटीज कितने तरह की होती है और इस बीमारी के कारण क्‍या क्‍या हैं.

अपोलो हॉस्पिटल के डॉ. सीएम बत्रा के अनुसार, डायबिटीज के मुख्‍य तौर पर चार टाइप होते हैं. TYPE-1 की डायबिटीज बच्‍चों में पाई जाती है. TYPE-2 की डायबिटीज वयस्‍कों में और TYPE-3 की डाइबिटीज गर्भवती महिलाओं में पाई जाती है. TYPE-4 की डायबिटीज कुछ दवाओं की वजह से होती है. इसको, सेकेंडरी डायबिटीज भी कहा जाता है. TYPE-1 की डायबिटीज एंसुलिन की कमी की वजह से होती है. TYPE-1 की डायबिटीज ज्‍यादातर छोटे बच्‍चों में पाई जाती है.

वहीं TYPE-2 की डायबिटीज अनुवांशिक है. जिन लोगों के माता और पिता को डायबिटीज की बीमारी है, उनमें TYPE-2 की डायबिटीज होने की संभावना करीब 50 फीसदी होती है. वहीं, जिनके माता या पिता में किसी एक को डायबिटीज की बीमारी है, उनमें डायबिटीज होने की संभावना करीब 25 फीसदी होती है. TYPE-2 की बीमारी का एक कारण मोटापा भी है.

TYPE-3 की बीमारी गर्भवती महिलाओं को हार्मोन असंतुलन की वजह से होती है. TYPE-4 की डायबिटीज कुछ दवाओं के सेवन से होती है. दरअसल, कुछ दवाओं का सेवन करने से शरीर में इंसुलिन का प्रॉसेस रुक जाता है. जिसके चलते, TYPE-4 की डायबिटीज लोगों को हो जाती है.

डॉ.बत्रा के अनुसार, बार-बार पेशाब आना, पेशान में जलन होना, पेशाब में इंफेक्‍शन होना, आँखों की रोशनी कम होना, ज्यादा प्यास लगना, कमजोरी महसूस होना, जख्म देर से भरना, त्‍वचा रोग, कमजोरी आना, वजन तेजी से कम या ज्‍यादा होना, चक्‍कर आना डायबिटीज की बीमारी के प्रमुख लक्षण है.

इन लक्षणों के सामने आते ही हमें ग्‍लूकोज टालरेंस टेस्‍ट कराना चाहिए. ग्‍लूकोज टालरेंस टेस्‍ट में फास्टिंग के दौरान आपका ग्‍लूकोज लेबल 126 है तो आप डायबिटिक हैं. यदि आपका ग्‍लूकोज लेबर 100 से 125 है तो आप प्री-डायबिटिक हैं.

वहीं, 75 ग्राम ग्‍लूकोज लेने के दो घंटे के बाद आपका ग्‍लूकोज लेबर 140 है तो आप डायबिटिक नहीं हैं. यदि ग्‍लूकोज लेबर 141 से 199 है तो आप प्री-डायबिटिक हैं. वहीं आपका ग्‍लूकोज लेबर 200 से ज्‍यादा है तो आप डायबिटिक हैं. बेहतर होगा कि यदि आपके माता पिता में किसी को भी डायबिटीज है तो 25 वर्ष की उम्र के बाद हर साल आप एक बार ग्‍लूकोज टालरेंस टेस्‍ट जरूर कराएं.

साभार- ‘ज़ी न्यूज़’