जापान ने महिला हॉकी फाइनल में भारत को 2-1 से हरा फाइनल जीता

जकार्ता: रानी रामपाल की अगुवाई वाली भारतीय महिला हॉकी टीम जकार्ता-पालेमबांग एशियाई खेलों में इतिहास रचने से चूक गई। 18वें एशियाई खेलों में महिला हॉकी के फाइनल मुकाबले में भारत को जापान ने कड़े मुकाबले में एक के मुकाबले 2 गोल से मात दी। 20 साल बाद एशियाई खेलों के फाइनल में पहुंचने वाली भारतीय टीम एशियाई खेलों में 36 साल के खिताबी सूखे को खत्म नहीं कर सकी और उसे रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

मैच में गोल करने की शुरुआत जापान ने की। भारत को मुकाबले के 10वें मिनट में पेनाल्टी कॉर्नर मिला जिसपर उसके खिलाड़ी गोल करने से चूक गए। वहीं जापान ने 11वें मिनट में मिले पेनाल्टी कॉर्नर को गोल में बदलकर मैच में 1-0 की बढ़त हासिल कर ली।
पहले क्वार्टर में 0-1 से पिछड़ने के बाद भारतीय महिलाओं ने दूसरे क्वार्टर में अच्छी वापसी की और गेंद को अपने नियंत्रण में रखा।इसी दौरान मैच के 25वें मिनट में नेहा गोयल ने गोल कर भारत को 1-1 की बराबरी पर ला दिया। इस तरह पहले हाफ का अंत 1-1 की बराबरी के साथ हुआ।
हाफ टाइम के बाद मैच 1-1 से बराबरी रहने के बाद भारतीय टीम तीसरे क्वार्टर में एक अलग रणनीति के साथ उतरी। मैच के 35वें मिनट में नवजोत और वंदना ने अच्छा मूव बनाने की कोशिश की, लेकिन वंदना नवजोत के पास को ट्रैप नहीं कर पाई और जापान के गोलकीपर ने अच्छा बचाव कर लिया।
तीसरे क्वार्टर में मैच के में जापान को पेनल्टी कॉर्नर (44वें मिनट) मिला जिसे गोल में तब्दील करने में मोतोमी कावामुरा ने कोई चूक नहीं की और तीसरे क्वार्टर का अंत जापान की 2-1 से बढ़त के साथ हुआ। यही गोल अंत में निर्णायक साबित हुआ। मैच में 1-2 से पिछड़ने के बाद भारतीय टीम के लिए चौथा क्वार्टर करो या मरो वाला हो गया क्योंकि मैच में बने रहने के लिए टीम को हर हाल में बराबरी हासिल करनी थी। ऐसे में भारत ने गोल कर बराबरी करने की पुरजोर कोशिश की लेकिन जापानी खिलाड़ियों ने भारतीय खिलाड़ियों को गोल नहीं करने दिया। मैच के आखिरी मिनट में वंदना ने शानदार शॉट जापान के गोलपोस्ट पर दागा लेकिन जापानी गोलकीपर ने गोल नहीं होने दिया और मैच 2-1 के अंतर से जापान ने जीत लिया।

हार के साथ ही भारत का टोकियो ओलंपिक में सीधे एंट्री पाने का रानी रामपाल की अगुआई वाली  भारतीय टीम सपना भी टूट गया।

साल 1998 में थाइलैंड में आयोजित एशियाई खेलों के फाइनल में दक्षिण कोरिया ने भारत का गोल्ड जीतने का सपना तोड़ दिया था। भारत ने पहली बार 1982 में नई दिल्ली में हुए नौवें एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद से वो स्पर्ण पर कब्जा नहीं कर सकी।