ट्रंप की अफगान नीति पर पाकिस्तान की संसद ने प्रस्ताव पास कर किया गुस्से का इजहार

इसलामाबाद : अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की अफगान नीति पर अब पाकिस्तान की संसद नेशनल एसेंबली ने एक प्रस्ताव पास कर ट्रंप के आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और धमकाने वाला बताया है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान पर अफगानिस्तान युद्ध को लंबा खींचने का आरोप लगाया था. उन्होंने पाकिस्तान पर अव्यवस्था के एजेंटों और अमेरिका समर्थित काबुल सरकार के खिलाफ विद्रोह करने वाले उग्रपंथी गुटों को सुरक्षित शरण मुहैया कराने का आरोप लगाया था. नेशनल एसेंबली में बोलते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने सरकार से इस पर विचार करने की अपील की कि अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के पाकिस्तान दौरे और पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के अमेरिका दौरे को टाल दिया जाए और पाकिस्तान के रास्ते अमेरिका के जमीनी और हवाई संचार को रोक दिया जाए. उन्होंने नेशनल एसेंबली में कहा, अफगानिस्तान, अमेरिका और उनके साथियों को पाकिस्तान के खिलाफ सक्रिय आतंकवादी और उग्रपंथी गुटों के लिए अपनी सीमा बंद कर देनी चाहिए. पाकिस्तान सीमा पर स्थित अफगान प्रांतों में आईएस के फैलने से चिंतित है.

विदेश मंत्री आसिफ ने अमेरिका द्वारा वित्तीय मदद में कटौती करने की चिंताओं पर बोलते हुए कहा कि अमेरिकी मदद के महत्व को हमलोगों ने अस्वीकार कर दिया है और 2001 के बाद से पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी लड़ाई में 123 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है. पाकिस्तान को अलग थलग करने की किसी भी कोशिश की राह में चीन द्वारा रोड़े अटकाये जाने की संभावना है. उसने इस्लामाबाद के साथ राजनीतिक और सैनिक संबंध गहरा बना दिया है और पाकिस्तान में ढांचागत संरचना में करीब 60 अरब डॉलर का निवेश किया है.

पाकिस्तान के अधिकारियों ने वाशिंगटन की ओर से चरमपंथ के खिलाफ संघर्ष में पाकिस्तान की कुर्बानियों और अल कायदा, आईएस और पाकिस्तानी तालिबान जैसे गुटों के खिलाफ कामयाबी के लिए आदर के अभाव पर गुस्से का इजहार किया है. पाकिस्तान का कहना है कि अमेरिका पर 2001 में हुए हमले के बाद शुरू हुए इस संघर्ष में उसके 70,000 लोग मारे गये हैं.

अमेरिका पर हुए आतंकी हमले के बाद से अमेरिकी सरकारें परमाणु शक्ति संपन्न पाकिस्तान से निबटने के तरीकों पर मुश्किलों का सामना करती रही हैं. पाकिस्तान अफगानिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय टुकड़ियों के हमले से पहले वहां सत्तारूढ़ तालिबान का समर्थन करता था और संदेह है कि उसे भगोड़े तालिबान नेताओं के बारे में जानकारी रही है.

वाशिंगटन तालिबान के खिलाफ पाकिस्तान की निष्क्रियता पर नाराज है. दूसरी ओर, चारों तरफ से घिरे अफगानिस्तान में अपनी सेनाओं को कुमुक पहुंचाने के लिए अमेरिका के पास पाकिस्तान की सड़कों के इस्तेमाल के अलावा और कोई चारा नहीं है. उसे डर है कि यदि पाकिस्तान सक्रिय दुश्मन बन जाता है तो इससे अफगानिस्तान और अस्थिर होगा और अमेरिकी सैनिकों पर खतरा बढ़ जायेगा.

पाकिस्तान लगातार यह आरोप लगाता रहा है कि आतंकी गुट अफगानिस्तान से आकर उसकी सीमा में हमला कर रहे हैं. पाकिस्तानी अधिकारियों और मीडिया ने इस पर भी नाराजगी जतायी है कि ट्रंप ने भारत से अफगानिस्तान में अपनी सक्रियता बढ़ाने की अपील की है. आसिफ ने अफगानिस्तान में भारत की बढ़ी हुई भूमिका को क्षेत्रीय स्थिरता के अत्यंत नुकसानदेह बताया और भारत पर आतंकवाद का समर्थन करने और इलाके में अस्थिरता वाली राजनीति करने का आरोप लगाया.