तलबाए मदारिस पर दहशतगर्दी का इल्ज़ाम गुमराह कुन

ब्रिज कोर्स की अल मद‌रसा सोसाइटी ने इस बात पर गहरे दुख का इज़हार किया है कि बाज़ अनासिर अपने मामूलीज़ाती मफ़ाद की ख़ातिर तलबाए मदारिस के ख़िलाफ़ गुमराह कुन और नफ़रत आमेज़ प्रोपगंडे में मशग़ूल हैं। गुज़िश्ता दिनों एकेडमिक काउंसल के इजलास में शोबा सियासियात के अस्ताज़ डाक्टर अर्शी ख़ां ने ब्रिज कोर्स के हवाले से ये इल्ज़ाम आइद किया था कि इस कोर्स में मदारिस के गुमराह कुन अनासिर भी शामिल होसकते हैं।

इस लिए उसकी रोक थाम के लिए एहतियाती इक़दामात किए जाएं। लेकिन उनकी ये मुहिम यहीं ख़त्म नहीं हुई, बल्कि उन्होंने अहले मदारिस से अपने बग़ज़ के इज़हार का सिलसिला जारी रखा है। उनकी तरफ़ से बाज़ हज़रात को एक सेकुल‌र मौसूल हुआ है जिस में ये अंदेशा ज़ाहिर किया गया है कि ब्रिज कोर्स दरअसल ऐसा दरवाज़ा है जो इस्लाम और मुसलमानों के नाम पर उन लोगों के लिए खोला गया है जो मज़हबी तशद्दुद और फ़िर्काबंदी पर कारबन्द हैं।

उन्होंने हिन्दुस्तानी मदारिस पर ये इल्ज़ाम भी लगाया है कि इन में से बाज़ मग़रिबी और सऊदी इंटेलिजेंस एजेसियों के ज़रिए चलाए जाते हैं। अल मदर‌सा की मीटिंग में जो आज यहां ब्रिज कोर्स के सीनियर उस्ताद डाक्टर अकबर जे सय्यद की सदारत में मुनाक़िद हुई, इस गुमराह कुन प्रोपगंडे की सख़्त मज़म्मत की गई।

डाक्टर सय्यद ने इस बात पर गहरे दुख का इज़हार किया कि मुस्लिम समाज के एक कमज़ोर तबक़े को ऊपर उठाने के लिए ब्रिज कोर्स का जो प्रोग्राम तशकील दिया गया है, उसकी मुख़ालिफ़त मुस्लिम यूनीवर्सिटी का एक उस्ताद ही कररहा है, जिसे बड़ी तवक़्क़ुआत के साथ असातिज़ा ने एकेडमिक काउंसल में अपना नुमाइंदा बना कर भेजा है।

उन्होंने कहा कि ये बात समझ नहीं आती कि तलबाए मदारिस पर दहशतगर्दी का इल्ज़ाम आइद करके और बेक़सूर मुस्लिम नौजवानों को मुजरिमों के कठहरे में खड़ा करके आख़िर डाक्टर अर्शी क्या मक़सद हासिल करना चाहते हैं? में वाइस चांसलर साहिब और AMUTA के हुक्काम से मुतालिबा करता हूँ कि वो डाक्टर अर्शी के ग़ैर ज़िम्मेदाराना बयानात का नोटिस लें।