तीन कश्मीरी को ट्रेन में भींड़ ने पीटा, लिंचिंग के डर से सामान छोड़कर ट्रेन से उतरे

नई दिल्ली: शॉल बेचने वाले तीन कश्मीरी लोगों ने दावा किया है कि एक ट्रेन में कुछ अज्ञात लोगों ने उनकी पिटाई की और ‘पत्थरबाज’ कहा। इसके कारण उन्हें रोहतक जाने से पहले बीच में ही उतरना पड़ा। अधिकारियों ने बुधवार को ये जानकारी दी। पुलवामा में 14 फरवरी को CRPF के एक काफिले पर हुए आत्मघाती हमले में 40 जवानों के शहीद होने के बाद देश के कई हिस्सों में कुछ कश्मीरी लोगों ने निशाना बनाए जाने का दावा किया है, और इन्हीं खबरों के बीच एक और ऐसी घटना सामने आई है।

पुलिस उपायुक्त (रेलवे) दिनेश गुप्ता ने बताया, ‘‘हरियाणा के सांपला जाने के लिए शॉल बेचने वाले तीन कश्मीरी युवक दिन में करीब 10:40 बजे सराय रोहिल्ला स्टेशन से एक लोकल ट्रेन के जनरल डिब्बे में सवार हुए। उन्होंने दावा किया कि उन्हें एक कोने में धकेल दिया गया और ‘पत्थरबाज’ कहा गया।’’

डीसीपी (रेलवे) ने कहा, ‘‘जब उन्होंने आपत्ति की तो आरोपियों ने दोनों कश्मीरी शॉल बेचने वालों को कथित तौर पर गाली दी और थप्पड़ मारा। हमलावरों ने कहा कि ‘तुम वहां (कश्मीर में) पत्थर फेंकते हो और यहां रोजी रोटी कमाने आते हो।’’ अन्य यात्री भी इसमें शामिल हो गए और हंगामा खड़ा हो गया।’’

गुप्ता ने बताया कि तीनों कश्मीरी नांगलोई स्टेशन पर उतर गए और दो लाख रूपये मूल्य के शॉल और सूटों से भरा अपना बैग ट्रेन में छोड़ गए। उन्होंने बताया कि मामला दर्ज कर इसकी जांच की जा रही है। कश्मीरियों ने बताया कि वे पिछले साल दिसंबर में दिल्ली आए थे और सराय रोहिल्ला में रह रहे हैं। वे पिछले दस सालों से यहां व्यापार करने के लिए आ रहे हैं।

कश्मीरियों ने अपने स्थानीय विधायक के जरिए माकपा नेता वृंदा करात से संपर्क किया। वृंदा करात ने पुलिस के पास शिकायत दायर कराने में उनकी मदद की। वृंदा करात ने कहा, ‘‘इन लोगों ने दावा किया कि हमलावरों ने उनसे कहा कि वे सशस्त्र बलों से हैं। उन्होंने कहा ‘तुम ही लोग हो जिन्होंने हमारे लोगों को मारा है।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘करीब 15-20 अन्य लोग भी उनके साथ शामिल हो गए और बेल्ट से कश्मीरी लोगों की पिटाई की। ये घटना तब हुई जब ट्रेन मंगोलपुरी पार कर रही थी। इनमें से एक कश्मीरी के सिर में गंभीर चोट आई और दूसरे के चेहरे पर जख्म है।’’ पुलिस ने बताया कि हमलावरों की अभी तक पहचान नहीं हो सकी है। ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि क्या वो सशस्त्र बलों से थे ,क्योंकि उन्होंनें सादे कपड़े पहन रखे थे।