तेलंगाना से तेलुगु देशम का मुकम्मिल सफ़ाया करने के सी आर का मंसूबा

किया तेलुगु देशम पार्टी तेलंगाना में डूबती हुई क्षति बन गई है? इस सवाल को इस लिए भी एहमीयत हासिल होगई हैके तेलंगाना से ताल्लुक़ रखने वाले इस ( तेलुगु देशम) के कई अरकाने असेंबली इक़तिदार की मुराआत ओ राहतों का फ़ायदा उठाने के लिए अब एक पार्टी को छोड़ने पर संजीदगी से ग़ौर करने लगे हैं।

इस हक़ीक़त की भी कोई तरदीद नहीं की जा सकती के टी आर एस के सरबराह और चीफ़ मिनिस्टर के चन्द्रशेखर राव‌ भी तेलंगाना के नक़्शा से तेलुगु देशम का नाम-ओ-निशान मिटा देने का मंसूबा बनारहे हैं।

ज़र्द ब्रिगेड ( तेलुगु देशम) के कई सीनीयर क़ाइदीन गुलाबी पार्टी ( टी आर एस ) की पेशरफ़त-ओ-पेशक़दमी से काफ़ी मुतास्सिर होरहे हैं। खम्मम से ताल्लुक़ रखने वाले एक सीनीयर लीडर नामा नागेश्वर राव‌ की टी आर एस में शमूलीयत से लगने वाले धक्के से तेलुगु देशम पार्टी के सदर और आंध्र प्रदेश के चीफ़ मिनिस्टर चंद्रबाबू नायडू अभी सँभल भी नहीं पा सके हैंके इन ( नायडू) की पार्टी के कई सीनीयर अरकाने असेंबली की के सी आर से मुलाक़ातें चंद्रबाबू नायडू के नाक़ाबिल-ए-बर्दाश्त दर्द-ए-सर बन रहे हैं।

वर्ंगल के तेलुगु देशम रुकने असेंबली ई दयाकर राव‌ की कल रात के सी आर से हुई खु़फ़ीया मुलाक़ात पर भी चंद्रबाबू हैरान रह गए। दयाकर राव‌ ने इब्तिदा में अगरचे के सी आर से मुलाक़ात की तरदीद की लेकिन बाद में उन्होंने उसकी तौसीक़ की लेकिन ये दावा भी किया कि तेलुगु देशम पार्टी छोड़ने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।

उन्होंने चंद्रबाबू से अपनी वफ़ादारी का इआदा भी किया। वाज़िह रहे के वर्ंगल में तेलुगु देशम से मुस्ताफ़ी होकर टी आर एस में शमूलीयत के बाद रुकन लोक सभा मुंतख़ब होने वाले कडीम श्री हरी और दयाकर राव‌ के दरमयान ज़बरदस्त सियासी मुख़ासमत है और ये दोनों एक दूसरे के ख़िलाफ़ हैं।