दलितों के पूर्वज ऋषियों ने रची वेद की ऋचाएं- योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि वेद की अधिकतर ऋचाएं दलितों के पूर्वजों ने रचीं। उन्होंने पूछा आखिर वेद की ऋचाएं किसने रचीं?आज आप कहते हैं फलाने को वेद पढ़ने का अधिकारी नहीं, कहते हैं महिलाएं वेद नहीं पढ़ सकतीं। वेद की अधिकतर ऋचाओं को आप देखेंगे तो उन्हें रचने वाले वे ऋषि हैं, जिन्हें आप दलित कहते हैं। दलितों के पूर्वजों ही हैं। वाल्मीकि समूदाय के लोगों से छूआछूत करेंगे यह दोहरा चरित्र जब तक रहेगा तब तक कल्याण नहीं होने वाला।
मुख्यमंत्री शनिवार को अयोध्या में डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के नवीन परिसर में बसायी गयी वाल्मीकि नगरी में आयोजित समरसता कुंभ को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई भाषा नहीं जिसमें रामायण न हो लेकिन उसका आधार कौन है? वाल्मीकि रामायण ही आधार है। दुनिया में रामायण से समर्पित जितने ग्रंथ हैं सबका आधार वाल्मीकि कृत रामायण बना है। उन्होंने पूछा -कौन थे महर्षि वाल्मीकि ?…हमारी मुक्ति का आधार राम हैं। हमारे आदर्श राम हैं। राम से हम सबका साक्षात्कार कराने वाले कौन हैं? महर्षि भगवान वाल्मीकि हैं लेकिन वाल्मीकि की परंपरा को हम भूल जाते हैं।
उन्होंने कहा कि कभी खुद को एक्सीडेंटल हिन्दू बताने वाले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अब जनेऊ धारण कर अपना गोत्र भी बता रहे हैं। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में सनातन धर्म की ऐतिहासिक वैचारिक विजय है। इसे हम सबको समझना होगा।
जातीय भेद व अस्पृश्यता का भाव हम पर मुगलों ने थोपा
मुख्यमंत्री ने कहा कि जातीय भेद और अस्पृश्यता का भाव हम पर मुगलों ने थोपा और अंग्रेजों ने षड़यंत्र के तहत इसे आगे बढ़ाया। इसी के चलते हम लंबे समय तक गुलाम रहे। आज भी विदेशी साजिश के तहत समाज को जातियों में बांट कर कमजोर करने का कुचक्र जारी है। युवा पीढ़ी को इससे सजग रहते हुए सामाजिक तौर पर एकजुट होना होगा, तभी देश आगे बढ़ सकेगा। सनातन धर्म की परंपरा छुआछूत और अस्पृश्यता को स्वीकार नहीं करती है। भगवान राम की परंपरा ने भी इसे कभी नहीं माना। निषादराज, सबरी, वनवासी हनुमान, प्रभु राम के सहयोगी थे और इन लोगों ने ही रामराज्य की आधारशिला रखी।
युवाओं को फेसबुक और गूगल के अधकचरे ज्ञान से उबरना होगा
श्री योगी ने कहा कि आज के युवा फेसबुक और गूगल पर ज्यादा भरोसा करते हैं लेकिन यह नहीं जानते कि ये कितने प्रमाणिक और प्राचीन हैं। उन्होंने कहा कि भारत की परंपरा के बारे में वेद और पुराण जो कहेंगे वही सही होगा। इसलिए युवाओं को फेसबुक और गूगल के अधकचरे ज्ञान से उबरना होगा। उन्होंने कहा कि कुंभ में कोई भेदभाव नहीं होता है। यह समरसता का संगम है। इस तरह के आयोजन मानवता के मार्ग को प्रशस्त करते हैं। यह मार्ग भारत से निकलेगा और अयोध्या इसकी आधारभूमि होगी।