दिल्ली के जश्न बिहार मुशायरा में शहरयार और एम एफ हुसैन की कमी महसूस की जाएगी

दिल्ली में जुमा के रोज़ मुनाक़िद शुदणी उर्दू मुशायरा में यूँ तो आलमी सतह पर उर्दू शारा-ए-अपने ताज़ा कलाम से अवाम को महज़ूज़ करेंगे लेकिन मुशायरा की रौनक मरहूम शहरयार और एम एफ हुसैन की वजह से कुछ मानंद ज़रूर पड़ेगी जो हमेशा से दिल्ली के मुशायरे में कलीदी किरदार अदा करते रहे।

सालाना जश्न बिहार मुशायरा जिसका अब हर साल दिल्ली के अवाम बेचैनी से इंतेज़ार करते हैं लेकिन इस मुशायरा के दो अज़ीम सरपरस्तों ने गुज़शता साल हमेशा के लिए दाग़-ए-मुफ़ारिक़त देते हुए मुशायरा की चमक दमक को मानंद कर दिया ।

जारीया साल जश्न बिहार मुशायरा में 16 शारा-ए-बिशमोल जावेद अख्तर और वसीम बरेलवी की शिरकत मुतवक़्क़े है । यही नहीं बल्कि सात शारा-ए-बैरून मुल्क से भी शिरकत करेंगे और अपने ताज़ा तरीन कलाम से अवाम को महज़ूज़ करेंगे ।

इलावा अज़ीं अशआर के ज़रीया ही मुंदरजा बाला दोनों अश्ख़ास को ख़राज अक़ीदत भी पेश की जाएगी । शहरयार को जहां उमराव जान के गानों ने ला ज़वाल कर दिया था वहीं एम एफ हुसैन भी जब तक हिंदूस्तान में रहे उन्होंने जश्न बिहार के हर मुशायरा में शिरकत की ।

शहरयार ने भी गुज़शता साल तक मुशायरा में शिरकत का सिलसिला जारी रखा था लेकिन इन का मिज़ाज अचानक बिगड़ जाने से गुज़शता साल 75 साल की उम्र में इन का इंतेक़ाल हो गया । एम एफ हुसैन का 95 साल की उम्र में गुज़शता साल लंदन में इंतेक़ाल हो गया ।

मरहूम जिलावतनी की ज़िंदगी गुज़ार रहे थे । जारीया साल शिरकत करने वाले शारा‍ ए‍ ही ऐसे शायर भी हैं जिन की मादरी ज़बान उर्दू नहीं है लेकिन उन्होंने अहल-ए-ज़बान की तरह तबा आज़माई करते हुए उर्दू ज़बान में बेहतरीन अशआर कहे हैं ।

अज़ीज़ नबील , ज़ुबैर फ़ारूक़ उलार शि मैक्सी ब्रूक्स , ज़ुहरा निगाह , अनवर मसऊद के नाम काबिल-ए-ज़िकर हैं।