दिल्ली में रोज लापता होते हैं 18 बच्चे, आधे से ज्यादा नहीं लौट पाते घर

नई दिल्ली : रोहिणी के अमन विहार में दो बहनें अप्रैल में अपने घर के बाहर से गायब हो गईं। कुछ महीने बाद पुलिस और एनजीओ की कोशिश से वे अपने घर लौट पाईं। दोनों बहनों की किस्मत अच्छी थी लेकिन दिल्ली से लापता हुए 66% बच्चे अपने घर वापस नहीं लौट पाते। ‘चाइल्ट राइट्स ऐंड यू’ (CRY) और ‘अलायन्स फॉर पीपल राइट्स (APR)’ द्वारा कराए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि 2017 में दिल्ली से 6,450 बच्चे लापता हो गए। इनमें से 3,915 लड़कियां और 2,535 लड़के थे।

अगर औसत निकालें तो रोज दिल्ली से लगभग 18 बच्चे गायब हो जाते हैं। हालांकि काफी सुधार हुआ है क्योंकि 2015 में एक दिन में 22 बच्चों के गायब होने का औसत था। दिल्ली उन राज्यों में से है जहां बड़ी संख्या में बच्चे गायब होते हैं। दिल्ली पुलिस और NCRB के डेटा के मुताबिक 12 साल तक के बच्चे ज्यादा गायब होते हैं। दिल्ली पुलिस के मुताबिक कई बार लोग बच्चों को चोरी करके अडॉप्ट करते हैं। ऐसे में लोग लड़के को प्राथमिकता देते हैं। 2017 में 379 लड़कियां गायब हुई थीं वहीं 770 लड़कों के गायब होने की सूचना मिली थी।

18 साल के ऊपर की लड़कियां लड़कों की तुलना में ज्यादा लापता होती हैं। APR की राज्य संचालक रीना बनर्जी ने कहा, ‘बच्चों की सुरक्षा का ध्यान देकर इस स्थिति से बचा जा सकता है। जिन कम्युनिटी ने विजिलेंस ग्रुप का काम शुरू किया है, वहां से बच्चों के गायब होने की जानकारी नहीं मिली है। 2016 तक शाहबाद डेयरी, जैतपुर और नरेला पुलिस स्टेशन में सबसे ज्यादा बच्चों के गायब होने की शिकायत दर्ज कराई गई।’

2017 में पुलिस ने 4,391 बच्चों को ढूंढा। हालांकि स्टडी में कहा गया है कि कई बार जो बच्चे मिल जाते हैं, उनको गायब बच्चों में नहीं गिना जाता है। पिछले साल दिल्ली में केवल 8 से 10 बच्चों को साल के भीतर ढूंढा जा सका।