देश भर से ऐक्टिविस्ट्स की गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

मंगलवार को पुणे पुलिस द्वारा गिरफ्तार पांच कार्यकर्ताओं में से तीन को एल्गार परिषद संगठन से जुड़े होने और माओवादियों के साथ भागीदारी के सम्बन्ध में बुधवार दोपहर पुणे में एक अदालत में पेश किया जाएगा. पुणे पुलिस का कहना है कि वे अदालत के समक्ष इन लोगों के माओवादियों से सम्बन्ध मामले में अपनी जांच के प्रारंभिक निष्कर्ष प्रस्तुत करेंगे. इस मामले में पुलिस ने दिल्ली में कार्यकर्ता और पत्रकार गौतम नवलाखा के घर में खोजबीन की थी.

दूसरी ओर इन ऐक्टिविस्ट्स की गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. ये याचिका रोमिला थापर, प्रभात पटनायक, सतीश देशपांडे, माया दर्नाल ने दी है. शीर्ष अदालत में इस पर आज दोपहर 3:45 पर सुनवाई होगी.

जबकि हैदराबाद में लेखक और कार्यकर्ता पी वरवर राव, वकील सुधा भारद्वाज, मुंबई में कार्यकर्ता वेरनोन गोन्जाल्विस, ठाणे में अरुण परेरा, रांची में स्टेन स्वामी के घर खोजबीन की थी. मंगलवार की शाम इनमे से तीन को गिरफ्तार कर लिया गया. इनमें से राव, गोन्जाल्विस और परेरा को पुणे लाया गया और अदालत में पेश किया जाएगा, जहां अभियोजन पक्ष उनके पुलिस संरक्षक रिमांड के लिए बहस करेगा.

इससे पहले मंगलवार को पुणे पुलिस ने देशभर के कथित नक्सल समर्थकों के घरों व कार्यालयों पर छापेमारी की थी. छापे के बाद वरवरा राव, अरुण परेरा, गौतम नवलखा, वेरनोन गोन्जाल्विस और सुधा भारद्वाज को गिरफ्तार किया गया है. इन सभी आरोपियों पर सेक्शन 153 A, 505(1) B, 117, 120B, 13, 16, 18, 20, 38, 39, 40 और UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम ऐक्ट) के तहत मामले दर्ज किये गए हैं.

पुणे के विश्रामबाग पुलिस स्टेशन में यलगार परिषद के ख़िलाफ़ कथित ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए बनाए गए क़ानून के तहत एक एफ़आईआर दर्ज की गई थी. परिषद की ये बैठक 31 दिसंबर, 2017 को आयोजित की गई थी. पुलिस का दावा है कि पुणे में हुई इस यलगार परिषद में दिए गए भाषणों की वजह से अगले दिन बड़े स्तर पर हिंसा हुई.