देश में असहिष्णुता: असली देशद्रोही कौन ??

देश में जाति और धर्म को मुद्दा बना कर राजनितिक रोटियां सेकने वाले राजनितिक दल आज अपने हर विरोधी को देशद्रोही करार देने में लगे हुए हैं।  अगर फ़िल्मी हस्तियों और दूसरी राजनितिक पार्टियों की बात छोड़ आम आदमी ( आम आदमी पार्टी नहीं ) की बात करें तो कोई भी ( मोदी अंध-भगतों को छोड़ कर ) इस बात से मना नहीं करेगा कि देश का माहोल वाकई में ख़राब किया जा रहा है। एक आम आदमी के हैसियत से मैं यह बात अपनी छाती ( जो कि मोदी की तरह 56″ की नहीं है ) ठोंक कर बोल सकता हूँ की देश का माहोल ख़राब करने वाले और कोई नहीं बल्कि यही  राजनितिक लोग ही हैं जिनके पास विकास के नाम पर करने के लिए कुछ नहीं है और जो सिर्फ धर्म के नाम पर लोगों को बाँट कर बहुमत हासिल कर  सत्ता में आना जानते हैं ।

देश में बढ़ रही इनटॉलेरेंस का मतलब यह बिलकुल नहीं है देश के लोग इनटोलेरंट हो रहे हैं इनटॉलेरेंस के लिए जिम्मेवार वह लोग हैं जो सत्ता और गुंडागर्दी में अपना नाम बनाना चाहते हैं।  इनटॉलेरेंस के मुद्दे पर अगर बीजेपी का जवाब देखें तो आपको ऐसा ही लगेगा जैसे की चुनाव जीत कर इसने देश को ही खरीद लिया हो और जो मन में आएगा इसके नाकाबिल और नालायक नेता वही करेंगे। सत्ता में आई सरकार के कारनामे तो जग जाहिर हैं,  प्रधानमंत्री जो प्रचारमंत्री की पोजीशन संभल रहे हैं, बे लगाम मंत्री और उनकी शह पर काम कर रहे गुंडे वगेरह वगेरह। देश के लोगों के आगे हाथ जोड़-जोड़ कर वोटों की भीख मांगते हुए नेता सत्ता में आते ही अपने असली तेवर दिखाने लगते हैं।

बात करें मई,2014 के चुनावों की तो आपको खुद ही समझ आ जाएगा कि जनता से गलती कहाँ पर हो गयी। सरकार को बहुमत से जीता कर जनता ने तो जैसे खुद के लिए काँटों का बिस्तर बिछा लिया हो; बजट से लेकर ज़हरीली बयानबाज़ी, बीफ से लेकर रिजर्वेशन देश की जनता ने इतने सियासी मौसम इतने कम समय में कभी नहीं देखे होंगे। विकास का लॉलीपोप दिखा कर गरीब की थाली में से प्याज़,टमाटर तक गायब कर देने वाली सरकार पर “एक तो चोरी ऊपर से सीनाज़ोरी” की कहावत बिलकुल फिट बैठती है। विकास से नाम पर देश के लोगों से धोखा हो रहा है। खरबों रुपयों का टैक्स देकर देश की गाड़ी चलाने वाली 1.3 अरब की जनसँख्या उल्लू की तरह इन नेताओं के आगे हाथ जोड़कर खड़ी है मानो कह रही हो ” हम तो आपके गुलाम हैं “। न जाने जनता को यह बात क्यों नहीं समझ आती कि सत्ता में बैठे यह लोग उनके नौकर हैं, जनता इन्हें इनकी औकात क्यों नहीं दिखाती।

आज देश के जो भी हालात हैं वह सब इन लोगों की वजह से ही हैं।  आज अगर कोई पार्टी का नेता यह लेख पढ़ रहा होगा तोह वह जरूर ही यह बात सोचेगा की जयादा लूट तो उसकी विरोधी पार्टी ने मचाई है/थी।  लेकिन असल में कहानी यह है कि हर पार्टी ने मिलकर देश को लूटा है और जनता को मूर्ख बनाया है।  इन कीड़ों को कोई समझाए की यहाँ देश में लूट मचाने का कोई कम्पटीशन नहीं हो रहा यह देश तुम लोगों के बाप की जागीर नहीं है यह देश यहाँ रह रहे हर एक नागरिक का है। तुम किसी को नहीं बोल सकते की अगर देश में खुश नहीं हो तो पाकिस्तान चले जाओ। इन नेता लोगों की खुद की बहु बेटियां तो विदेशों में रहती हैं, यहाँ भारत में भी हों तो 2-४ सिक्योरिटी गार्ड साथ लेकर शॉपिंग करने या क्लब में एन्जॉय करने जाती हैं।  और आम आदमी की बहु बेटी अगर देर रात बहार निकले और उसके साथ कुछ घटना हो जाए तो इन नेताओं की जुबान बिगड़ जाती है। कुछ दिन पहले की बात ही ले लो, 22 अक्टूबर, 2015 को यूनियन मिनिस्टर जनरल वी.के. सिंह हरियाणा में हुए 2 दलित बच्चों की मौत के बारे में जवाब देते हुए कहते हैं : “अगर कोई कुत्ते को पत्थर मारता  है तो उसके लिए सरकार जिम्मेवार नहीं है। ”  अब अगर कोई इस से पूछे कि अगर तुम्हारे खुद के बच्चे उस आग में जले होते तो भी तुम उनको कुत्तों का दर्जा ही देते? अगर वोटर जिसके आगे तुमने वोटों की भीख मांगी वह और उसके बच्चे कुत्ते हैं तो तुम क्या हुए? क्युंकि साइंस ने अभी तक इतनी तरक्की नहीं की की इंसान कुत्तों से उसकी भाषा में बात कर सके। अंदर की बात यह है इन नेताओं के लिए वोटों से पहले हर वोटर इंसान और वोटों के बाद कुत्ता बन जाता है।

किस्सा पाकिस्तान का अखबार और टीवी पर हर जगह “पाकिस्तान चले जाओ” वाला स्लोगन सुन सुन कर ऐसा लगने लगा है जैसे बीजेपी ने पाकिस्तान में प्रॉपर्टी डीलिंग या ट्रेवल एजेंसी का कारोबार शुरू कर लिया  हो। या फिर यह भी हो सकता है की आने वाले टाइम में यहाँ के हालात पाकिस्तान से भी बदतर होने वाले हैं। देश हमारा है। घर हमारा है। इस देश के लिए हमारे बुजुर्गों दे अपना सब कुछ न्योछावर किया है। और तुम मुट्ठी भर लोग हम 1.3 अरब देशवासियों को हिदायत दे रहे हो निकल जाओ पाकिस्तान की ओर.. सवाल उठता है क्यों भाई ?? तुम कौन होते हो मुझे बोलने वाले इतनी बात? तुम 5 साल के लिए नौकर बन कर आये हो अपना काम अच्छे से करो अगर काम अच्छा लगेगा तो फिर से रख लेंगे नौकरी पर। इसलिए अपनी औकात में रहो और काम पर ध्यान दो।

अभी हाल ही में सुनने में आया कि आमिर खान को भी सच बोलने का प्रशाद सोशल मीडिया पर  आईटी सेल के भाड़े के गुंडों ने दे दिया है और तो और उस पर देशद्रोह का मामला भी दर्ज किया गया है।   खैर सच बोलने का सिला तो ऐसे ही सबको मिलता रहेगा जब तक इन नौकरों को देश की जनता इनकी औकात दिखा कर यह नहीं समझा देती की देशद्रोही देश के हालातों का आईना दिखाने वाला नहीं बल्कि यही लोग हैं जो हर विरोध की आवाज़ को दबाने की कोशिश में हैं। देश के प्रधान या बेहतर तरीके से कहूँ तोह प्रचार मंत्री को समझना चाहिए की ” मन की बात ” करने का इकलौता हक़ उसकी पार्टी के लोगों के पास ही नहीं बल्कि हर देशवासी को है।

 

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