नागरजुना सागर की सतह आब अक़ल्ल तरीन निशाने से भी कम

मौसम बरसात का आग़ाज़ हुए तक़रीबन दो माह का अर्सा होरहा है बारिश के ना होने की वजह एशीया के सब से बड़े हमा मक़सदी प्रोजेक्ट नागरजुना सागर की सतह आब अक़ल्ल तरीन निशान (डैड इसटोरीज)से भी कम होगई है नागरजुना सागर प्रोजेक्ट से जोड़वां शहरों के अलावा मुख़्तलिफ़ मुक़ामात को पीने के पानी और दोनों रियासतें के मुख़्तलिफ़ मुक़ामात में आबपाशी के लिए इस्तेमाल किया जाता है दो माह का अर्सा होने के बावजूद ख़ातिरख़वाह बारिश के ना होने की वजह ज़ख़ीरा आब 511.20 फिट होकर रह गया है जो मुक़र्रर करदा अक़ल्ल तरीन निशाने से भी कम है जारीया माह कर्नाटक-ओ- आंध्र के चंद इलाक़ों में बारिश होने पर ही सतह आब में इज़ाफ़ा होसकताहै ज़ख़ीरा आब में इज़ाफ़ा होने की सूरत में ही दाएं और बाएं नहरों के अलावा माधवा रेड्डी प्रोजेक्ट ए एम आर पी में पानी छोड़कर आबपाशी और पीने के पानी के लिए 90 तालाबों में पानी का ज़ख़ीरा करते हुए हैदराबाद-ओ-सिकंदराबाद के अलावा दुसरे मुक़ामात पर पीने के पानी की सरबराही अमल में लाई जा सकती है बारिश के ना होने पर पीने के पानी का मसला संगीन होने काख़दशता लाहक़ होगा।

रियासत की तक़सीम वजह तेलंगाना को दूसरी रियासत कर्नाटक और महाराष्ट्रा पर ही इन्हिसार करना पड़ेगा इन रियासतें में बारिश या सेलाब आने पर ही श्रीसेलम प्रोजेक्ट की सतह आब मुकम्मिल होगी वहां से फ़ाज़िल पानी को नागरजुना सागर के लिए छोड़ा जाएगा।