नाव हादसा: लालू की दखल के बाद जांच टीम से पटना के डीएम बाहर

पटना: दूध की रखवाली का जिम्मा अगर बिल्ली को दिया जाए तो दूध कितना सुरक्षित रह सकता है इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं. बिहार में यह कहावत चरितार्थ होता दिख रहा है. मकर संक्रांति के दौरान प्रशासनिक लापरवाही से नाव दुर्घटना में 25 लोगों की मौत हो गई और जिनकी भूमिका दुर्घटना में शुरुआती दौर में प्रतीत हो रही थी, उन्हीं अधिकारियों को नीतीश सरकार ने जांच का जिम्मा दिया. तीन सदस्य जांच कमेटी का गठन किया था उस कमेटी में से पटना के जिलाधिकारी संजय अग्रवाल को राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के दखल के बाद बाहर निकाल दिया है.

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आजतक के मुताबिक पटना के जिलाधिकारी संजय अग्रवाल को जांच कमेटी से निकालने का फैसला नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के दखल के बाद लिया है. सूत्र बताते हैं कि लालू इस बात से काफी नाराज थे कि इस घटना के लिए जहां पटना जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है ऐसे में पटना के जिलाधिकारी को जांच समिति में रखने से निष्पक्ष जांच संभव नहीं है.

शुरुआती जांच में आयोजन के दौरान पर्याप्त संख्या में पुलिस बल की तैनाती नहीं किए जाने की बात निकल कर आ रही है. जिसकी वजह से शाम के वक्त जब एक ही नाव पर क्षमता से ज्यादा लोग सवार हो रहे थे तो किसी ने उन्हें रोका तक नहीं. दूसरी ओर आरोप यह भी लग रहे हैं कि प्रशासन ने लोगों को गंगा पार ले जाने और फिर वापस लाने के लिए ज्यादा नाव की व्यवस्था भी नहीं की थी.

इन सभी लापरवाहियों को देखते हुए जिलाधिकारी होने के नाते पटना प्रशासन के मुखिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं और इसी वजह से लालू की दखल के बाद पटना के जिलाधिकारी संजय अग्रवाल को जांच कमेटी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है.
गौरतलब है कि इस पूरी घटना को लेकर नीतीश कुमार ने रविवार को एक उच्चस्तरीय बैठक की थी और आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत को जल्द से जल्द जांच पूरी करके सरकार को रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है.

आप को बता दें कि नाव पलटने के हादसे में 25 लोगों की मौत हो गई और इसके बाद पटना प्रशासन के ऊपर लापरवाही बरतने के लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. आरोप हैं कि पटना प्रशासन ने पतंग महोत्सव के लिए किसी भी प्रकार की तैयारी नहीं की थी जिसकी वजह से इतनी बड़ी दुर्घटना हो गई.