नोटबंदी का आज 22 वां दिन, कतारें अभी भी बरकरार, टेंशन में सैलरी वाले

नई दिल्ली। नोटबंदी के खिलाफ राजनीतिक लड़ाई एक तरफ और सार्वजनिक परेशानी दूसरी तरफ। नोटबंदी के 22 दिन बाद भी नकदी की कमी जारी है तो देश के नौकरीपेशा आदमी के सामने परेशानी यह है कि वे सैलरी खाते से कैसे निकालेंगे और अगर सैलरी नहीं निकलेगी तो दिसंबर का महीना कैसे कटेगा?

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नोटबंदी का आज 22 वां दिन है, लेकिन कैश की कतारें अभी भी बरकरार हैं। नवंबर तो जैसे तैसे गुज़र गया, लेकिन दिसंबर का क्या होगा? नया महीना शुरू होने को है तो सैलरी भी खाते में आने ही वाली है। नौकरीपेशा वर्ग के टेंशन का यही कारण है। या तो सैलरी खाते में आ गई है, या बस आने ही वाली है, लेकिन वह क्या करें? खाते में पैसा होने के बावजूद कैश निकालने की टेंशन है।

न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी के बाद एटीएम मशीनों को ठीक करने के लिए 2 से 3 सप्ताह का समय मांगा था, लेकिन 22 दिन बीत जाने के बाद भी एटीएम मशीनें सही होनी बाकी हैं। छिटपुट एटीएम काम कर रहे हैं जहां कतारें देखकर ही डर लगने लगता है।

आरबीआई ने नकदी निकालने की सीमा में छूट तो दे दी। पहले से लगी हुई लंबी लंबी कतारों की हालत सुधरी नहीं है, अब इस समय क्या होगा जब सभी लोग सैलरी निकालने इसी लाइन से लड़ने पहुंच जाएगा? सवाल यही है कि आरबीआई की छूट का लाभ तो तब मिलेगा जब बैंक की पंक्ति से युद्ध जीतकर आम आदमी काउंटर पर कैश खतम होने से पहले पहुंच पाएगा।

वित्त मंत्री को काला धन सफेद करने वालों के लिए कानून बनाने की जल्दी है, लेकिन हर महीने खाते में पड़ने वाली सफेद राशि बैंक से पर्स तक पहुंचाने की जल्दी के लिए कोई नया कानून नहीं बना है। विपक्ष संसद ठप कर रहा है तो कहीं सड़कों पर धरने जारी हैं, लेकिन आम आदमी के साथ या उसकी जगह लाइनों में लगने वाला नेता पिछले 21 दिन में नहीं नजर आया।