नोट बंदी के कारण फ़ाक़ाकशी की नौबत

अलीगढ़ 29 नवंबर: काले धन के सफाया के उद्देश्य से नोटों की मंसूख़ी के बाद देश भर में अफ़रातफ़री का आलम पैदा हो गया। औद्योगिक और खेत मजदूर जो मआश से वंचित हो गए जबकि दूसरी ओर मामूली राशि प्राप्त करने के लिए एटीएम्स में लंबी कतारों में टहरने वालों के मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित पाई गई।

माहिर-ए-नफ़सीयत ने एक विश्लेषण में यह खुलासा किया और बताया कि जेब में पैसा न होने पर कई लोग मानसिक तनाव और निराशा में आगए हैं। हालांकि एक चौंकाने वाला घटना अलीगढ़ में हुई है। जहां एक व्यक्ति ने सरकारी अस्पताल में अपनी नसबंदी करवाई ताकि सरकारी सहायता से अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतेजाम किया जा सके।

यौमिया उजरत पर काम करने वाले एक मज़दूर पौर्ण शर्मा करंसी नोटों की मंसूख़ी के बाद अपने ख़ानदान की कफ़ालत से क़ासिर हो गया था और महिज़ हुकूमत से मुआवज़ा की रक़म हासिल करने के लिए क़रीब में एक कैंप से रुजू हो कर अपनी नसबंदी करवाई।

पौर्ण शर्मा ने बताया कि नोटों की मंसूख़ी के बाद कोई क़र्ज़ या इमदाद करने के लिए तैयार नहीं था। बहालत मजबूरी उसने नसबंदी करवाते हुए सरकारी मुआवज़ा हासिल कर लिया बताया जाता है कि माह नवंबर नसबंदी करवाने वालों की तादाद 167 तक पहुंच गई जबकि पिछ्ले साल इस मुद्दत के दौरान 82 थी। पौर्ण शर्मा के वालिद ने बताया कि गावं के मुतअद्दिद लोगों ने फ़ाक़ाकशी से बचने के लिए मजबूरन नसबंदी करवाई है।