पटियाला हॉउस कोर्ट से एक पत्रकार का आँखों देखा हाल

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जिन्हें नाज था हिंद पर वो कहां हैं…..

हर किसी के जिंदगी मे एक ऐसा वक्त आता है, जब वह सोचता बहुत है, दिल से दिमाग से वगैरह वगैरह …… आज मुझे पहली बार ऐसा लगा कि मेरा हिंदुस्तान खतरे मे है। मैने पहली बार अपने आंखों मे आंसू देखे हैं। 17 फरवरी शाम 3 बजे अचानक मेरे पास मेरे Boss की काल आई, कहा पटियाला हाऊस कोर्ट चले जाओ माहौल थोडा ठीक नही है वहां । फौरन पहुंचा और सुना कि JNU केस मामले के आरोपी कन्हैया को वकीलों ने धुन दिया है। सब देखते रहे, भीम सिंह बस्सी की पुलिस भी देखने वालों मे शामिल हो गई। दिलचस्प, बहुत दिलचस्प! !!

सुना तो यकीन नही हुआ, सोचा जायजा लूं… पुलिस ने कोर्ट मे अंदर जाने से मना किया और मै वापस बाहर खडा हो गया जहां तमाम मीडिया के लोग खडे थे। मौका ऐसा आया जब मै पुलिस से नजर चुराकर अंदर घुस गया और साथ ही कई बडे बडे मीडिया घराने के लोग भी। अंदर का माहौल मै समझ नही पा रहा था, शायद पहली बार जिंदगी मे षड्यंत्र रचते हुए मैं देख सकता था। हर कोई यही बातें कर रहा था कि साला कन्हैया को जुता और डंडा कैसे मारा जाए। एक से एक गालियों कि बौछार हो रही थी और बस्सी साहब की पुलिस उन वकीलों की सुरक्षा मे तैनात थी कि कहीं कोई उनकी वीडियो ना बना ले।

दो वकील मेरे पास आए और बोले मीडिया वाले हो ना?? साले वीडियो मत बना लिओ, ले ली जाएगी तेरी! !! मै शांत होकर सुन रहा था और वहां बस्सी साहब का एक पुलिस वाला भी टकटकी लगा सुन रहा था, उसकी हिम्मत कहां थी बोलने की। एक बार को शर्म इसबात पर आई कि मेरे साथ और भी मीडिया कर्मी थे जिन्हें वहां से गाली देकर मेरे सामने खदेडा गया, मैने सोचा बाहर जाकर “BREAKING” चलवाएंगे, लेकिन इतनी हिम्मत कहां। मैने अपने एडिटर को फोन किया और सारी बातें बताई और खबर भी चली। वकीलों की पोशाक मे लगभग 150 लोगों ने खुब हंगामा काट रखा था और बस्सी साहब की पुलिस मुस्कराने के अलावा कुछ नही कर रही थी। एक पुलिस वाले ने तो मुझे चौका दिया, पुलिस वाला वकीलों से कहता कि “यार क्यों परेशान हो?? अंधेरा हो चुका है जैसे ही साला बहन….. बाहर आता है पेल दो” CCTV में कुछ नही दिखेगा। एक शख्स कहता की इस नाजायज कन्हैया के मुंह पर थुकना मेरा सपना है और सुबह से इंतजार मे हूं। देश के लोकप्रिय PM नरेन्द्र भाई मोदी के दफ्तर और मेरे हिंदुस्तान के राष्ट्रपति के घर से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर अदालत मे आरोपी सुरक्षित नही, मीडिया को बोलने की आजादी नही, जहां उसपर डंडे और पत्थर बरसते हों, फिर आप इस बात पर गौर करिए कि कैसे एक आम हिंदुस्तानी को इंसाफ मिलता होगा।

अदालत के चौखट पर ऐसा माहौल जहां कन्हैया को कोर्ट से निकाल कर जेल ले जाने मे दिल्ली पुलिस CRPF और न जाने किन किन सुरक्षा एजेंसियों को बुलाना पडा। सुरक्षा कारणो से मीडिया का तो अंदर जाना मना था पर सोचने वाली बात जरुर है कि आखिर एक साथ इतने वकील इकट्ठे क्यों खडे हैं। धर्म के नाम पर, मुल्क के आड मे राजनीति और फसाद फैलाना तो सिर्फ सुनता था लेकिन मैने देखा भी। मुझे समझ नही आता यह कौन लोग हैं जो मेरे हिंदुस्तान के नाम पर देशभक्त का गाना तो गाते हैं लेकिन बहुत ही बेसुरा!!! ऐसी देशभक्ति नापाक सी लगती है मुझे । क्योंकि ऐसे ही देशभक्तों ने आमिर,सलमान शाहरूख को मुसलमान बना रखा है और अमिताभ, ओम देवानंद को हिंदू ।

कन्हैया गलत है या सही यह अदालत तय करेगा। आप हैं कौन?? आपको अधिकार किसने दिया?? देशभक्ति के नाम पर हर मुहल्ले, हर नुक्कड़, हर गली, हर नगर, शहर, गांव में लोग घूम रहे और राष्ट्रीयता का सर्टिफिकेट बांट रहे हैं। आखिर हम किस सहज समाज की बातें कर रहे हैं???

जवाब का इंतजार रहेगा

आरिज़ मतलूब News World India के सवांददाता हैं