पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यकों के जीवन बेहद बदतर

आर्थिक नीतियों में बदलाव से मुख्य एजेंडा बेअसर, अरुण जेटली का भाषण

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अल्पसंख्यकों के दुख और कठिनाइयों पर सवाल उठाते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि हाल ही में जारी आंकड़ों (डाटा) से यह संकेत मिलता है कि इन हालत में जीवन बेहद बदतर है। जेटली ने कहा कि सरकार के पालन विधि से समाज के सभी हलकों के जीवन में सुधार नहीं हो सकता, जिसका असर अल्पसंख्यकों पर देखा जा सकता है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने आज यहां राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा आयोजित अल्पसंख्यकों के लिए आर्थिक विकल्प पर व्याख्यान देते हुए कहा कि 1990 से पहले भारत में तेजी से विकास देखी गई जिसके नतीजे में गरीबी में सक्षम मामले कमी हो गई थी। इस अवसर पर अरुण जेटली ने कोलकाता में  जारी नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन की रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें पश्चिम बंगाल के मुसलमानों की दुर्दशा पेश किया गया है और मुसलमानों में गरीबी, बेरोजगारी अशिक्षा और कसमपुर्सी और अर्द्ध भुखमरी के कारणों का वर्णन की गई है जिस पर वित्त मंत्री ने यह सवाल उठाया कि पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में यह स्थिति क्यों पैदा हुए हैं जहां आजादी के बाद राजनीतिक स्थिरता और अल्पसंख्यक सक्षम मामले आबादी पाई जाती है लेकिन आंकड़ों से पता चलता है कि यहां के अल्पसंख्यक समय दराज से पिछड़ेपन का शिकार हैं और सरकारों के परिवर्तन के बावजूद अल्पसंख्यकों के विकास और समृद्धि पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया।

अरुण जेटली ने कहा कि एक कारण यह भी हो सकता है कि आर्थिक विकास को ही विकास कल्पना कर लिया गया है, जिसके परिणाम स्वरूप समग्र विकास में तेजी का कारण नहीं हो सकी। गौरतलब है कि अमर्त्य सेन की जारी रिपोर्ट में यह आश्चर्यजनक खुलासा किया गया है कि पश्चिम बंगाल में दूसरे समुदायों से अधिक मुसलमान आर्थिक रूप से पिछड़े हैं।

वित्त मंत्री ने समय-समय पर नीतियों में परिवर्तन के कारण आर्थिक विकास से ध्यान गैर केंद्रित हो गई है। उन्होंने कहा कि हम एक कार्करद और सक्रिय लोकतंत्र में रहते हैं जो मुख्य एजेंडा प्रत्येक विकास और समृद्धि होना चाहिए।