पुणे पुलिस का दावा- सरकार के खिलाफ षडयंत्र कर रहे थे गिरफ्तार ऐक्टिविस्ट

भीमा-कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किए गए ऐक्टिविस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद भी पुणे पुलिस ने दावा किया है कि गिरफ्तार किए गए पांच ऐक्टिविस्ट्स सरकार को गिराने के माओवादी षडयंत्र में शामिल थे। बता दें कि बुधवार को शीर्ष अदालत ने इन गिरफ्तारियों पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि इस तरह की कार्रवाई से ‘असहमति’ जताने की प्रक्रिया प्रभावित होती है।

पुणे पुलिस ने दावा किया है कि मंगलवार को गिरफ्तार किए गए पांच ऐक्टिविस्ट्स सरकार को गिराने के माओवादी षडयंत्र + में शामिल थे। पुलिस ने कहा कि उसके पास ईमेल और पत्रों के रूप में इसका ‘पुख्ता सबूत’ है। इसके अलावा पुलिस का कहना है कि ये आरोपी ‘देश के वरिष्ठ नेताओं को निशाना बनाने की योजना भी बना रहे थे।’

पुलिस के डेप्युटी कमिश्नर श्रीश देशपांडे ने बताया कि ये पांच आरोपी कॉलेज के छात्रों को बहका रहे थे और नागरिकों और सुरक्षा कर्मियों पर हमले के लिए हथियार और गोली-बारूद इकट्ठा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पुलिस ने सरकार को गिराने के लिए प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के पूरे देश में एक संगठन बनाने के षडयंत्र का भी खुलासा किया है। देशपांडे ने किसी और प्रश्न का उत्तर देने से इनकार कर दिया।

पुलिस की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है, ‘सबूत से सीपीआई  (माओवादी) की सेंट्रल कमिटी के सीनियर कॉमरेडों की ओर से फंड उपलब्ध कराने, युवाओं को बहकाने के लिए शहरों में नक्सलियों को जिम्मेदारी देने और हथियार उपलब्ध कराने का भी संकेत मिला है। कुछ सबूत से यह भी दिख रहा है कि आरोपियों का हिंसा फैलाने वाले अन्य गैर कानूनी संगठनों के साथ गठजोड़ था। वे मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था से नाराज थे और उन्होंने संगठनों, पदाधिकारियों और देश के वरिष्ठ राजनेताओं को निशाना बनाने के बारे में सोचा था।’

मंगलवार को पांच ऐक्टिविस्ट्स की गिरफ्तारी के अभियान की निगरानी करने वाले पुणे के जॉइंट पुलिस कमिश्नर, शिवाजी भोडके ने ईटी को बताया कि ‘आरोपी जनता को एकजुट कर निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे थे। वे युवाओं को भड़काने और हिंसक गतिविधियों में शामिल थे।’ पुणे पुलिस ने यह नहीं बताया कि गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ षडयंत्र से कोई संबंध था या नहीं।

पुणे पुलिस ने जून में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के संदिग्ध सदस्यों सुरेन्द्र गाडलिंग और रोना विल्सन को हत्या के षडयंत्र के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस मामले में सबूत माओवादियों की ओर से कथित तौर पर विल्सन को लिखा गया पत्र है जिसमें षडयंत्र का जिक्र किया गया था।