पुण्यतिथि- टीपू सुल्तान थर-थर कांप उठते थे अंग्रेज, इतनी कम उम्र में ही चटा दी थी धूल !

टीपू सुल्तान एक योग्य शासक होने के साथ-साथ एक विद्वान और कुशल सेनापति भी थे. लेकिन उनकी कई नीतियों को लेकर उनका विरोध भी लगातार किया जाता रहा है. आज उनकी पुण्यतिथि है. आज ही के दिन साल 1799 में टीपू सुल्तान की मृत्यु हुई थी. भारत के कर्नाटक राज्य में हर साल उनकी जयंती भी धूमधाम से मनाई जाती है, वहीं इसका भी काफी विरोध होता रहा है. 20 नवम्बर, 1750 को टीपू सुल्तान का जन्म हुआ था और उन्होंने बेहद कम उम्र में ही रण में उतरने का निर्णय ले लिया था.

टीपू के पिता भी अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए अपनी ताकत को लगातार बढ़ाने में लगे रहते थे. जबकि दूसरे शासक अंग्रेजों के सामने अपनी तलवार गिराकर हार मान लेते थे. वहीं अंग्रेज मैसूर पर भी कब्जा करना चाहते थे, लेकिन टीपू और उनके पिता द्वारा अंग्रेजों की नीतियों के खिलाफ बगावत शुरू हुई. जहां महज 15 साल की नन्ही उम्र में ही अपने पिता के साथ 1766 के आसपास मैसूर के पहले युद्ध में अंग्रेजों के सामने उन्होंने सभी को अपनी वीरता और प्रतिभा का परिचय दे डाला.

बताया जाता है कि उसके बाद 1780 में हुए मैसूर के दूसरे युद्ध ‘बैटल ऑफ पल्लिलुर’ में अंग्रेजों को करारी शिकस्त देने में टीपू ने अपने पिता हैदर अली को काफी सहयोग दिए था और उनके सहयोग से ही उनके पिता को जीत मिल सकी थी. वहीं इसके बाद भी उन्होंने कई युद्ध में हिस्सा लिया था और वे विजयी भी रहे थे. 1799 को टूरिंग खानाली युद्ध टीपू का आखिरी युद्ध साबित हुआ था.