पेगंबर साहीब के प्रवचन हर जमानें में रास्ता दीखातें है

हैदराबाद । उस्मानिया यूनीवर्सिटी इस्लामिक स्टडीज़ के डिपार्टमेंट के ज़ेर-ए-एहतिमाम सेमीनार से शेख़ उलहदीस ख़्वाजा शरीफ़ निज़ामी ने ख़िताब (संबोधन) किया।

सदर शोबा प्रोफेसर आईशा महमूद फ़ारूक़ी के तआरुफ़ी कलिमात के बाद मौलाना ने “असर-ए-हाज़िर में इल्म हदीस की ख़िदमत, क्यों और कैसे ?” के उनवान के तहत फ़रमाया कि हदीस नबवी हर मुआमला में ख़ाह वो मआशी, सयासी, तमद्दुनी, इक्तेसादी, तालीमी और दीगर तमाम पहलुओं की मुकम्मल रहनुमाई करती हैं।

अपने ख़िताब के आग़ाज़ में मौलाना ने ये बताया कि हर दौर में इल्म हदीस की एहमीयत-ओ-इफ़ादीयत मुसल्लम रही है। दौरान ख़िताब मौलाना ने कई अहादीस की शरह पेश की। मौलाना ने इस्लाह मुआशरा (नागरीक्ता के सूधार) के मुताल्लिक़ गोशों को भी रोशन करते हुए फ़रमाया कि हुक़ूक़ वालदैन एहतियाज (आवश्क्यता) के दर्जा में आते हैं जबकि ज़ोजैन (पती पत्नी) और औलाद के हुक़ूक़ शरफ़ के दायरे में आते हैं।

सेमीनार का आग़ाज़ हाफ़िज़ मुहम्मद इफ़्तिख़ार अहमद की तिलावत क़ुरान से हुआ। हाफ़िज़ मुहम्मद शकील अहमद हुसैन ने नात रसूल अल्लाह स.व. सुनाई। मौलाना ने आख़िर में मुल्क-ओ-मिल्लत और इंसानियत की इस्लाह-ओ-बहबूद के लिए दुआएं की। प्रोफ़ैसर अब्दु लहमीद‌ के शुक्रिया से सेमीनार इख़तेताम को पहूँचा।