पैग़म्बर (PBUH) की सुन्नत पर भिड़े मिस्री राष्ट्रपति और अलअज़हर के चांसलर

पैग़म्बरे इस्लाम के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर मिस्र में जो वैचारिक और शाब्दिक टकराव देखने में आया है शायद वह पुराने झगड़े को फिर से ज़िंदा कर दे।

यह बहस मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फ़त्ताह अस्सीसी तथा अलअज़हर विश्वविद्यालय के चांसलर शैख़ अहमद अत्तैयब क बीच हुई और बात यहां तक बढ़ गई कि मिस्री राष्ट्रपति ने तीखा प्रहार करते हुए कहा कि शैख़ साहब आपने मुझे तंग करके रख दिया।

वैसे अस्सीसी का अंदाज़ मज़ाक़ वाला था लेकिन इसके अलग अलग अर्थ निकाले जा रहे हैं।

शैख़ अहमद अत्तैयब ने मीलादुन्नबी के उपलक्ष्य में अपने भाषण में कहा कि पैग़म्बरे इस्लाम की जीवन शैली पर सभी मुसलमानों को गर्व करने का अधिकार है। यह ज़रूरी है कि पैग़म्बरे इस्लाम तथा उनके साथियों का अनुसरण किया जाए। उन्होंने कहा कि 14 शताब्दियां पहले ही पैग़म्बरे इस्लाम ने आशंका जता दी थी कि बाद में एसे लोग भी आएंगे जो सुन्नत अर्थत पैग़म्बरे इस्लाम के कथनों और जीवनशैली के बारे में संदेह करेंगे।

अहमद अत्तैयब ने इस तरह सुन्नत के बारे में मिस्र में जारी बहस का जवाब दिया और सुन्नत के बारे में सवाल उठाने वालों को चुप कराने की कोशिश की।

अहमद अत्तैयब की यह बात राष्ट्रपति अब्दुल फ़त्ताह अस्सीसी को पसंद नहीं आई और उन्होंने अपने एक भाषण में कहा कि झगड़ा सुन्नत का अनुसरण करने या न करने के बारे में नहीं है। हमें तो यह देखना पड़ेगा कि आज दुनिया में मुसलमानों की क्या तसवीर है? आज मुसलमानों के बारे में क्या सोच पायी जाती है?

अस्सीसी ने ज़ोर दिया कि हमें धार्मिक सिद्धांतों पर वर्तमान समय के हालात को देखते हुए पुनरविचार करना चाहिए और इस्लाम धर्म के सिद्धांतों को समझने में ग़लती करने से बचना ज़रूरी है इस्लाम को बदनाम उन्हीं लोगों ने किया है जो सुन्नत का अनुसरण करने की दावत देते हैं किसी और पक्ष ने यह काम नहीं किया है।

इस्लामी मामलों के विशेषज्ञों का यह मानना है कि इस्लाम बेहतरीन धर्म है मगर वहाबी और तकफ़ीरी विचारधाराओं ने इस धर्म को दुनिया भर में बदनाम किया है और इसका कारण यह है कि यह विचारधाराएं इस्लाम के सिद्धांतों को ग़लत रूप में पेश करती हैं। कुछ विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि ब्रिटिश साम्राज्यवाद ने वहाबी विचारधारा को फैलाने में सहायता की है।

साभार- पारस टुडे