प्रेस रीलीज़ हुकूमत की है या फ़ौज की ?

दिल्ली हाइकोर्ट ने मर्कज़ से वज़ाहत तलब की है कि 5 मार्च को जारी किए गए प्रेस ब्यान में साबिक़ लेफ्टीनेंट जनरल तेजेन्द्र सिंह पर जो इल्ज़ामात आइद किए गए थे, वो इल्ज़ामात हुकूमत की जानिब से आइद किए गए थे या फ़ौजी ओहदेदारों ने अपनी शख़्सी हैसियत में ऐसी हरकत की थी ? जस्टिस मुक़्ता गुप्ता ने मर्कज़ी हुकूमत के वकील नीरज चौधरी को हिदायत की कि वो वज़ारत-ए-दिफ़ा से ज़रूरी मालूमात हासिल करते हुए अदालत को भी इन तफ़सीलात से 27 अप्रैल तक वाक़िफ़ करवाए।

याद रहे कि अदालत ने ये हुक्म एक दरख़ास्त की बुनियाद पर दिया है, जिस का अदनाल साबिक़ लेफ्टीनेंट जनरल सिंह की जानिब से किया गया जहां उन्होंने अदालत से ख़ाहिश की थी कि वो फ़ौज को प्रेस रीलीज़ से दस्तबरदार होने की हिदायत दे। फ़ौजदारी एक एक तहरीरी दरख़ास्त में जिसे मिस्टर सिंह के वकील अनील अग्रवाल ने दाख़िल किया था, तेजेन्द्र सिंह ने इस्तेदलाल पेश किया था कि सीनीयर फ़ौजी ओहदेदारों की प्रेस रीलीज़ जिस में फ़ौजी सरबराह जनरल वी के सिंह भी शामिल हैं, तौहीन आमेज़ है, जिससे फ़ौरी दसतबरदारी इख्तेयार की जानी चाहीए।