बाबरी मस्जिद मुंहदिम केस में सुप्रीम कोर्ट ने आडवाणी, जोशी समेत 20 लोगों से 4 हफ्ते में मांगा जवाब

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद मुंहदिम मामले से जुड़े 22 साल पुराने केस की सुनवाई के बाद बीजेपी के सीनीयर लीडर लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और सीबीआई समेत 20 लोगों को नोटिस भेज दिया है. इसके अलावा जिन लोगों को नोटिस जारी किया गया है उनमें मरकज़ी वज़ीर उमा भारती का नाम अहम है.

मामले की सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी. इस केस की सुनवाई चीफ जस्ट‍िस एचएल दत्तू के सामने हुई. गौर करने लायक बात ये भी है कि जिन लोगों को अदालत की ओर से नोटिस जारी किया गया है, उनमें से ज़्यादातर किसी न किसी तौर पर मुल्क की इक्तेदार वाली पार्टी बीजेपी से जुड़े हुए हैं.

सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई इस दरखास्त में दावा किया गया है कि सीबीआई ने पूरे मामले में लाल कृष्ण आडवाणी को बचाने की कोशिश की. इस दरखास्त में 2010 में आए इलाहबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें लाल कृष्ण आडवाणी को बाबरी मस्ज‍िद को शहीद करने के इल्ज़ाम से बरी कर दिया गया था.

इस मामले में मुल्ज़िम के तौर पर कल्याण सिंह, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, विनय कटियार और अशोक सिंघल शामिल हैं. इलाहाबाद कोर्ट ने बाबरी मस्जिद शहीद करने के मामले में 21 मुल्ज़िमो को साजिश के इल्ज़ाम से आज़ाद कर दिया था.

यह दरखास्त फैजाबाद के रहने वाले हाजी हाजी महमूद अहमद की तरफ से दायर की गई है, जो रामजन्मभूमि मुतनाज़ा केस से पिछले 45 साल से जुड़े हैं. उन्होंने कहा, ‘राजनाथ सिंह भी इस मामले में मुल्ज़िम हैं, लेकिन अब वह वज़ीर ए दाखिला हैं और सीबीआई पर भी उनका कंट्रोल है. दूसरे मुल्ज़िम कल्याण सिंह भी राजस्थान के गवर्नर हैं और उमा भारती कैबिनेट मिनिस्टर हैं.’ अहमद भी उन लोगों में से हैं, जिनका घर तशद्दुद के दौरान जला था, ढहाया गया था. उन्होंने कोर्ट से अपील की है कि एक मुतास्सिर पार्टी के तौर पर उन्हें इस मामले में बहस करने की इजाजत दी जाए. उन्होंने सीबीआई जांच पर शक भी जताया है.