बेगम बाज़ार में क़दीम आशूर ख़ाना की अराज़ी(ज़मीने) पर क़ब्ज़ा की कोशिशें

हैदराबाद ३०नवंबर (सियासत न्यूज़) बेगम बाज़ार बेद वाड़ी के इलाक़ा मुल्तानी पूरा में वाक़्य क़दीम(पुराना) आशू रखाने की अराज़ी पर क़बज़ा की नापाक कोशिश की जा रही है और आशू रखाने से क़ुरब वाक़्य मस्जिद जालगीरां के इमाम को मुक़ामी अश्रार की जानिब से हिरासाँ करने की शिकायत वसूल हो रही हैं जबकि हुकूमत की जानिब से जारी करदा सैकिण्ड वक़्फ़ सर्वे रिपोर्टमें मस्जिद जालगीरां, आशूर ख़ाना और छल्ला मुबारक महबूब सुबहानी रिपोर्ट में दर्ज वक़्फ़ है।

बावजूद इस के इस अराज़ी पर क़बज़ा की नापाक कोशिशें जारी हैं। बताया जाता हीका हर साल उस क़दीम आशू रखाने में इलम बिठाए जाते हैं और इस साल भी माह मुहर्रम के आग़ाज़ पर इलम बिठाए गए । ताहम मुक़ामी अश्रार इस आशू रखाने को पार्किंग का मुक़ाम बताते हुए क़बज़ा की मज़मूम कोशिश हो रही है। इस आशू रखाने के तहफ़्फ़ुज़ में मुक़ामी ग़ैरमुस्लिम अफ़राद और लवधा तबक़ा के अफ़राद भी सरगर्म हैं। ताहम इस मसला को अश्रार मुतनाज़ा मसला बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

मुक़ामी मुस्लमानों के मुताबिक़ पुलिस अश्रार की इन कोशिशों में इन का भरपूर तआवुन पेश कर रही है और पुलिस पर इल्ज़ाम हीका वो मसला को तूल देते हुए समाज में तफ़र्रुक़ा और शीया-ओ-सुनी मुस्लमानों के एक मिसाली इत्तिहाद को तोड़ने की कोशिश कररही ही। ये इल्ज़ाम आशू रखाने के मुजाविर सय्यद यूसुफ़ अली ने लगाया और कहा कि कल रात इल्म बिठाने के बाद पुलिस स्टेशन में पुलिस ने मुस्लमानों के साथ इस तरह का बरता किया।

उन्हों ने कहा कि पुलिस ने बी जे पी के क़ाइदीन की आमद पर अपना मौक़िफ़ बदल दिया और फिर बाद में शीया मुस्लमानों को अलहदा और सुनी मुस्लमानों के साथ अलहदा बातचीत करते हुए ज़हनों को मुंतशिर करने की नाकाम कोशिश की ही।

इस मौक़ा पर इलयास ख़ां और मंसूर ने जोकि मुक़ामी तौर पर आशूर ख़ाना, मस्जिद जालगीरां और छल्ला मुबारक महबूब सुबहानी के तहफ़्फ़ुज़ में सरगर्म हैं, कहा कि मुल्तानी पूरा के वजूद से इस मुक़ाम पर मस्जिद और आशूर ख़ाना क़ायम ही। उन्हों ने कहा कि मुक़ामी तौर पर चंद शरपसंद अनासिर इस इलाक़ा में बेचैनी पैदा करते हुए आशूर ख़ाना की अराज़ी पर क़बज़ा की कोशिश कररहे हैं। उन्हों ने मस्जिद जालगीरां के इमाम मुहम्मद रशीद से बात करवाई और कहा कि इमाम मस्जिद को जान से मार देने की धमकीयां दी जा रही हैं। इमाम मस्जिद ने कहा कि उन्हें अज़ां देने से रोकने की कई बार कोशिश की गई और कई मर्तबा हिरासाँ (डराना)किया जाता है।

मुक़ामी अश्रार बदसुलूकी से पेश आते हुए उन से गाली गलौज करते हैं और उन की ग़ैरमौजूदगी में उन की अहलिया को धमकाया जाता है। मुक़ामी अश्रार मस्जिद के इमाम को इलाक़ा छोड़ने के लिए दबा डाल रहे हैं। मुक़ामी मुस्लमानों के मुताबिक़ अमन को बिगाड़ने की इस साज़िश पर पुलिस का रवैय्या मुजरिमाना ग़फ़लत का म बिन रहा है और वक़्फ़ बोर्ड की लापरवाही जले पर तेल का काम कररही है।

उन्हों ने हुकूमत, वक़्फ़ बोर्ड और पुलिस से मुतालिबा किया कि वो आशूर ख़ाना, मस्जिद और छल्ला मुबारक के तहफ़्फ़ुज़ को यक़ीनी बनाईं और अश्रार की हरकतों पर रोक लगाते हुए बरक़रार अमन को यक़ीनी बनाए।