भुल्लर को नहीं होगी फांसी

सुप्रीम कोर्ट ने खालिस्तानी दहशतगर्द देवेंद्रपाल सिंह भुल्लर की मौत की सजा को घटाकर उम्रकैद में तब्दील किया। भुल्लर 1993 में दिल्ली में हुए बम धमाकों का खाती है। यह धमाका दिल्ली में यूथ कांग्रेस दफ्तर के बाहर किया गया था और यूथ कांग्रेस के उस ऱक्त के सदर एमएस बिट्टा इसके निशाने पर थे. इस धमाके में 9 लोगों की मौत हो गयी थी जबकि कांग्रेस नेता एमएस बिट्टा जख्मी हो गए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च 2002 को भुल्लर की अपील खारिज करते हुये उसकी मौत की सजा बरकरार रखी थी। कोर्ट ने भुल्लर की दोबारा अपील 17 दिसंबर, 2002 को और फिर 12 मार्च, 2003 को उसकी अपील भी खारिज कर दी थी।

फिर भुल्लर ने सदर जम्हूरिया के पास 14 जनवरी, 2003 को रहम की अपील दायर सदर जम्हूरिया ने आठ साल बाद पिछले साल 25 मई को उसकी रहम की अपील खारिज कर दी थी।

भुल्लर के खानदान की तरफ से फिर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी गई जिसमें यह कहा गया कि उसकी दिमा़गी हालत ठीक नहीं है. साथ ही इसमें यह भी कहा गया कि उसकी रहम की अपील पर फैसला लेने में आठ साल का वक्त लगा है।

कोर्ट ने 31 जनवरी को भुल्लर को फांसी देने पर रोक लगाते हुए अपने उस फैसले पर दोबारा गौर करने पर ऱजामंदी दे दी थी जिसके तहत 1993 के दिल्ली बम धमाकों में उसकी मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने की अपील को ठुकरा दिया गया था।

शुरू में केंद्र हुकूमत ने इसकी मुखाहिफत की लेकिन हुकूमत ने सुप्रीम कोर्ट को तीन दिन पहले ही यह सूचित किया था कि भुल्लर की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने पर उसे कोई परेशानी नहीं है।