मास्को में 100 साल क़दीम तारीख़ी मस्जिद शहीद

9/11 हमला की दसवीं बरसी के मौक़ा पर कार्रवाई ,2 मुलैय्यन मुस्लमानों केलिए मसला
मास्को 14 सितंबर (एजैंसीज़) रूस के दार-उल-हकूमत मास्को में 100 साल क़दीम तारीख़ी मस्जिद को शहीद करदिया गया। ये कार्रवाई 9/11 को अमरीका पर हमला की दसवीं बरसी के मौक़ा पर अंजाम दी गई। बताया जाता है कि मस्जिद को शहीद करने का काम रूस के आला मुफ़्तियों की हिदायत पर किया गया जिन का कहना था कि ये तारीख़ी मस्जिद ख़सताहाली का शिकार होगई थी। लक्कड़ी से बनी हुई इमारत शदीद बारिश के बाद बोसीदगी की वजह से मुनहदिम होने के क़रीब थी। महिकमा आसारे-ए-क़दीमा के कारकुनों ने मस्जिद को शहीद करने के फ़ैसला की शदीद मुज़म्मत की है और कहा है कि ये कार्रवाई नाक़ाबिल-ए-यक़ीन तौर पर उजलत में की गई। 9/11 के मौक़ा पर इस तरह की तारीख़ी मस्जिद को मुनहदिम करने हुक्काम की कार्रवाई अफ़सोसनाक है। इस से मास्को के 2 मुलैय्यन मुस्लमानों केलिए नमाज़ की अदायगी का मसला पैदा होगया। ये मस्जिद मास्को की तारीख़ी मीरास का हिस्सा थी। परासपकट मेरा मेट्रो स्टेशन के बाहर वाक़्य मस्जिद को इतवार के दिन शहीद करदिया गया। आरकीटकट इगोर तज़ीवफ़ ने एंटर फ़याकस को बताया कि 1904 -ए-में तामीर करदा मस्जिद को शहीद करने के लिए आहनी औज़ार का इस्तिमाल किया गया। 2 मीनारों को भी शहीद करदिया गया। रूस के मुफ़्तियों की कौंसल ने कहाकि मस्जिद की दीवारों में शिगाफ़ पड़ गए थे और वो गिरने के क़रीब आगए थे। इस लिए उन्हें शहीद करना पड़ा। कौंसल ने माबक़ी 3 मीनारों को भी गिराते हुए एक नई मस्जिद तामीर करने का फ़ैसला किया है। ये मस्जिद मुक़ामी मुस्लमानों के लिए नाकाफ़ी भी होरही थी। ख़ासकर ईदैन और जुमा के मौक़ा पर मुस्लमानों को मस्जिद के बाहर सड़कों पर भी नमाज़ अदा करना पड़ रहा था। जिस से ट्रैफ़िक में ख़लल पैदा होरहा था। रूस के मुस्लिम उल्मा ने मस्जिद को अचानक मुनहदिम करदेने पर नाराज़गी ज़ाहिर की है। रूस के मुस्लिम कौंसल के सरबराह ने कहाकि अमरीका पर हमला के दिन ही इस मस्जिद को शहीद करने पर शकूक-ओ-शुबहात पैदा हुए हैं। मुस्लमानों से मुशावरत के बगै़र ही मस्जिद शहीद करदी गई। रूस की कई आज़ाद मुस्लिम तंज़ीमों ने भी मस्जिद की शहादत की मुज़म्मत की है। इन में मर्कज़ी मुस्लिम रुहानी बोर्ड रूस के ज़िम्मेदार भी शामिल हैं। ऑल रूस मफ़तयात ने भी कार्रवाई के ख़िलाफ़ एहतिजाज किया है क्योंकि ये मस्जिद रूस में इस्लामी तारीख़ का एक बेहतरीन नमूना थी।
मुअम्मर क़ज़ाफ़ी का ठिकाना नामालूम : सादी
तरह बुल्स । 14 सितंबर (ए एफ़ पी) लीबिया के माज़ूल मर्द आहन मुअम्मर क़ज़ाफ़ी के एक बेटे सादी अलक़ज़ाफ़ी ने आज कहा कि वो अपने आठ क़रीबी साथीयों के हमराह सहराई रास्ता से नाइजर पहूंचे हैं। ताहम कहा कि उन्हें अपने मफ़रूर वालिद के बारे में कोई इलम नहीं है और वो उन की रूपोशी के ठिकानों से भी बाख़बर नहीं हैं। 38 साला सादी, मुअम्मर क़ज़ाफ़ी के साथ बेटों में तीसरे फ़र्ज़ंद हैं, जो फ़िलहाल गवर्नर की रिहायश पर नज़रबंद हैं।