मिजोरम के मुख्यमंत्री अपनी दोनों सीटों से चुनाव हारे

10 सालों के मिजोरम (Mizoram) सीएम पद का कार्यभार संभाल रहे लाल थनहवला (Lal Thanhawla) 2018 के चुनाव में अपनी दोनों सीटों पर हार गए। सीएम लाल थनहवला ने इस साल सेरछिप और चम्फाई साउथ से चुनाव लड़े लेकिन दोनों ही जगहों से उन्हें शिकश् खानी पड़ी। सेरछिप विधानसभा सीट से जोराम पीपल्स मूवमेंट के लालदूहोमा ने थनहवला को 283 वोटों से हराया तो वहीं चम्फाई साउथ विधानसभा सीट से मिजो नेशनल फ्रंट टीजे लालनंतलुआंग से उन्हें 5212 वोटों से हराया।

10 सालों से कांग्रेस सत्ता में हैं थनहवला
मिजोरम में बीते 10 सालों से यानी की 2008 में जबरदस्त जीते के बाद से ही कांग्रेस के लाल थनहवला मुख्यमंत्री हैं। उनसे पहले मिजोरम नेशनल फ्रंट के लीडर पु. जोरमथंगा ने भी 10 सालों तक 1998 से 2008 तक सरकार चलाई थी। लाल थनहवला मिजोरम के 4 बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इससे पहले भी वह 1984 से 1986 और 1989 से 1998 तक प्रदेश के सीएम रहे थे। इस तरह से बीते 30 वर्षों में मिजोरम में ललथनहवला और पु. जोरमथंगा ही मुख्यमंत्री रहे थे।

सीएम लाल थनहवला का जन्म 1942 को हुआ था। 1964 में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने स्कूल निरीक्षक के ऑफिस में रिकॉर्डर के रूप में करियर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने कोऑपरेटिव बैंक में असिस्टेंट के तौर पर भी काम किया और बाद में मिजो नेशनल फ्रंट के आंदोलन से जुड़ गए। यह एक भूमिगत आंदोलन था और वह इसके विदेश सचिव थे। लथनहवला को गिरफ्तार कर लिया गया। 1967 में जेल से छूटने के बाद वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ गए। उनको पार्टी की ओर से आईजोल जिले का मुख्य संगठनकर्ता बना गिया गया।

1973 में लाल थनहवला मिजोरम प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए और उसके बाद से वह लगातार इस पद पर बने हुए हैं। 1978 और 1979 में वह केंद्र शासित प्रदेश के चुनाव में विधायक चुने गए। 1984 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बड़ी जीत की हासिल की और लाल थनहवला राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। 1986 में भारत और मिजोरम नेशनल फ्रंट के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया ताकि एमएनएफ के नेता पी. लालडेंगा को राज्य का सीएम बनाया जा सके।

यह समझौते का हिस्सा था और लथनहवला को उप मुख्यमंत्री बनाया गया। मिजोरम को भारत का पूर्ण राज्य घोषित कर दिया गया। राज्य का पहला विधानसभा चुनाव 1987 में कराया गया। वह फिर विधायक चुनकर आए। लेकिन लालडेंगा की सरकार दलबदल की वजह से गिर गई और 1988 में वह राज्य के सीएम बने। वह 1989 और 1993 तक लगातार राज्य के सीएम बने रहे। 1998 में उनको हार का सामना करना पड़ा। यह उनकी पहली राजनैतिक हार थी। 2008 में एक बार फिर उनकी अगुवाई में कांग्रेस ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए सरकार का गठन किया।

साल 2013 के चुनाव में मिजोरम विस चुनाव में कांग्रेस ने उनकी अगुवाई में 40 सीटों 34 सीटें जीतीं। 2008 के चुनाव से इस बार कांग्रेस को 2 ज्यादा सीटें मिली थीं। मुख्य विपक्षी पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट को सिर्फ 5 सीटें मिली।