मिस्बाह कादरी के मामले में नया खुलासा !

मुंबई: मुंबई के वडाला इलाके में हाउसिंग सोसाइटी से 25 साल की मुस्लिम लड़की मिस्बाह कादरी को बाहर निकाले जाने का मामला मज़हबी भेदभाव का नहीं लगता, क्योंकि इसी हाउसिंग सोसाइटी में तीन और मुस्लिम किराएदार रह रहे हैं.

मिस्बाह ने भी अपनी फेसबुक पोस्ट में दूसरे मुस्लिम किराएदारों के रहने की बात कही है. सोसाइटी में रहने वाले मसलमानों का कहना कि उनके साथ न तो कोई इम्तियाज़ी सुलूक किया गया और न ही किसी एनओसी पर दस्तखत कराए गए.

सातवें मंज़िल पर रहने वाले एक मुस्लिम ने बताया कि वह तीन और लोगों के साथ रह रहा है. उसे कभी किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई. वहीं इमारत में रहने वाले एक दूसरे मुस्लिम स्टूडेंट ने भी किसी इम्तियाज़ी सुलूक (भेदभाव) से इंकार किया है.

उधर बिल्डर का दावा है कि वह मज़हब की बुनियाद पर इम्तियाज़ी सुलूक ( भेदभाव) नहीं करते. इस बात की तस्दीक यहां रहने वाले मुस्लिम खानदान से भी होती है. उनका कहना है कि यह झगड़ा खातून और फ्लैट दिलाने वाले एजेंट के बीच झगड़े का नतीजा है. वडाला में वाके यह बिल्डिंग सांघवी हाइट्स अभी पूरी तरीके से बनकर तैयार नहीं हुई है.

वहीं, जब मिस्बाह से राबिता किया गया तो उन्होंने बताया कि एजेंट ने उनसे एक एनओसी पर साइन करवाया था, जिसके मुताबिक मज़हब की वजह से पड़ोसी इम्तियाज़ी सुलूक (भेदभाव) करेंगे, तो मालिक, बिल्डर और ब्रोकर कानूनी तौर पर जिम्मेदार नहीं होंगे. हालांकि एनओसी की कॉपी दिखाने की बात पर मिस्बाह ने नाअहली जताई.

इस पूरे मामले पर पुलिस का कहना है कि वह मामले की जांच कर रहीं है. उसने सोसाइटी में रहने वाले मुसलमानों के बयान भी दर्ज किए हैं.