मुजफ्फरनगर दंगे के आरोपी की हत्या, 8 मुस्लिमों की हत्या का था आरोपी, जांच शुरू

मुज़फ्फर नगर में शनिवार की देर शाम गांव कुटबा में 2013 के दंगा आरोपी 45 वर्षीय दलित रामदास उर्फ काला की गोली मारकर हत्या कर दी गई । 42 साल का रामदास जमानत पर बाहर था। शनिवार की देर शाम गांव कुटबा निवासी 45 वर्षीय रामदास उर्फ काला अपने घर में सोया हुआ था कि कुछ अज्ञात लोगों ने उसकी कनपटी पर गोली मारकर हत्या कर दी। हमलावर हत्या करने के बाद फरार हो गए। पुलिस ने पंचनामा भरकर शव को पीएम के लिए जिला अस्पताल भेजा। रविवार को उसका शव गांव पहुंचा, जंहा उसका अंतिम संस्कार किया गया। मृतक के भाई संजीव पुत्र खजान ने रविवार को थाने पहुंचकर चार अज्ञात लोगों के विरुद्ध उसके भाई की गोली मारकर हत्या कर देने का मुकदमा दर्ज कराया है। मृतक रामदास उर्फ काला वर्ष 2013 के दंगे में कुटबा में हुई साम्प्रदायिक हिंसा में 8 लोगों की हत्या में मुख्य आरोपी भी था तथा न्यायालय से जमानत कराकर बाहर रह रहा था। न्यायालय में चल रही सुनवाई के दौरान वह तनावग्रस्त चल रहा था तथा कई बार उस पर हमला होने के कारण डरा हुआ था, जिसके चलते वह गांव से बाहर नहीं जाता था। थाना प्रभारी केपी सिंह का कहना है कि मृतक के भाई संजीव की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया है, जिन लोगों के नाम प्रकाश में आएंगे, उन्हें जेल भेजा जाएगा।

पुलिस के मुताबिक, मौके से टूटी हुई चूड़ियां बरामद हुई हैं। पुलिस को इस बात की आशंका है कि यह आत्महत्या का भी मामला हो सकता है। पुलिस ने घटनास्थल से मिले सामान को फोरेंसिंक लैब में भेजा है। जांचकर्ताओं को उम्मीद है कि जल्द ही तस्वीर साफ हो जाएगी। वहीं, सर्किल ऑफिसर हरिराम यादव ने कहा कि उन्हें शनिवार दोपहर ढाई बजे रामदास की मौत की जानकारी मिली। इससे 90 मिनट पहले ही उसकी मौत हुई थी। वह अपनी किराने की दुकान से वापस लौटा था।

रामदास के भाई के मुताबिक, बाइक पर आए कुछ लोग उसके घर में घुस आए और उसके कनपट्टी से सटाकर गोली मार दी। इससे रामदास की मौके पर ही मौत हो गई। उस वक्त रामदास के दो बेटे और बेटी घर के पहले माले पर थे, जबकि पत्नी घर पर नहीं थी। परिवारवालों का कहना है कि पड़ोसियों ने हमलावरों को हत्या करने के बाद भागते देखा है। उधर, पुलिस का कहना है कि शव के पास से कोई हथियार बरामद नहीं किया गया। कुतबा के प्रधान अशोक का कहना है कि गांव में हिंदुओं और मुस्लिमों की मिश्रित आबादी है और दंगों के बाद से उन्होंने यहां कोई समस्या नहीं देखी।

पुलिस ने इस मामले में रामदास के भाई की शिकायत पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया है। अभी तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। शाहपुर पुलिस थाने के कार्यकारी प्रभारी महेंद्र त्यागी का कहना है कि इस मामले में शिविर पर मारे गए छापे से अभी तक कोई सुराग सामने नहीं आया है। वहीं, रामदास के भाई ने एफआईआर में कहा कि रामदास को जमानत मिलने की वजह से बहुत सारे लोग नाराज थे। इससे पहले भी उस पर हमला हो चुका है। भाई का दावा है कि रामदास ने इसकी जानकारी पुलिस को दी थी। वहीं, शाहपुर पुलिस स्टेशन के एसएचओ कुशलपाल सिंह ने इस बात से इनकार किया है।

रामदास उर्फ काला दलित समुदाय से ताल्लुक रखता था। उसका नाम उन 10 लोगों और 250 अज्ञात के खिलाफ दर्ज एफआईआर में शामिल था, जिसे 8 सितंबर 2013 को दंगों के बाद कुतबा में आठ लोगों की हत्या के बाद दर्ज किया गया था। मारे गए लोगों में शमशाद, उसका बेटा इरशाद, वाहिद, फैयाज, तराबू, कय्याम, मोमिम और एक महिला खातून शामिल थे। बता दें कि मुजफ्फरनगर दंगों में 62 लोगों की जानें गई थीं। काला समेत 10 लोगों ने इस मामले में अखिलेश यादव सरकार की ओर से बनाई गई स्पेशल इन्वेस्टिगेटिंग सेल के सामने सरेंडर किया था। मुजफ्फरनगर की अदालत में रामदास के खिलाफ यह मामला लंबित है।