मुतास्सिरीन तशद्दुद ( पीड़ितों) का हुकूमत आसाम पर इल्ज़ाम

नन्ही मासूम बेगम अपने आँसू नहीं छिपा सकी जबकि वो इस रात का ज़िक्र कर रही थी जबकि उस की माँ, बाप और दो माह का भाई तारकीन-ए-वतन अक़ल्लीयतों और बोडो कबायलियों के दरमयान तशद्दुद ( दंगे) में हलाक कर ( मार) दिए गए। इस ने पी टी आई के इलाक़ा का दौरा करने वाले नामा निगार से कहा कि इस ने अपने वालदैन को घसीट कर ले जाते हुए देखा है।

इन तमाम को क़त्ल कर दिया गया। ये मेरी ज़िंदगी का बदतरीन वक़्त था। इस के बरअक्स ( विपरीत) रानोज बासू मतारी ने कहा कि सूरत-ए-हाल क़ाबू में की जा सकती थी अगर हुकूमत पेशगी कार्रवाई करती। इस ने कहा कि हम ने वज़ारत-ए-दाख़िला (गृह मंत्री) का हुकूमत आसाम को इंतिबाह(
चेतावनी देते) सुना है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। ये काबिल-ए-मुज़म्मत है। ताहाल तशद्दुद में 46 अफ़राद हलाक और 2 लाख से ज़्यादा बेघर हो चुके हैं। पनाह गज़ीन कैम्पों की हालत काबिल-ए-रहम है। दाल और चावल की क़िल्लत है। जो अशीया सरबराह की जा रही है इंतिहाई नाकाफ़ी हैं। हुकूमत मुकम्मल तौर पर नाकाम हो चुकी है।