मुत्तहदा रियासत में हैदराबादी तहज़ीब और सक़ाफ़त से खिलवाड़

हैदराबाद क़ुतुब शाही और आसिफ़ जाहि दौरे हुकूमत से ही फ़िर्कावाराना हमआहंगी का गहवारा रहा है और यहां की मुशतर्का तहज़ीब और क़ीमती सक़ाफ़त सारी दुनिया के लिए मिसाल थी जिस को मुत्तहदा रियासत के क़ियाम के बाद मुनज़्ज़म अंदाज़ में तबाह किया गया बिलख़ुसूस 1970 के बाद से हैदराबादी तहज़ीब और सक़ाफ़त से खिलवाड़ किया गया।

मारूफ़ समाजी कारकुन मुहतरमा अनुराधा रेड्डी ने एक इंटरव्यू में इस बात का दावा किया। उन्हों ने निज़ाम हशतुम के दौरे हुकूमत का तज़किरा करते हुए कहा कि बज़ाहिर निज़ाम हशतुम हुक्मरान थे मगर इंतेज़ामीया पर मुकम्मल इजारादारी राया की थी और निज़ाम हशतुम बिना रियाया की मंज़ूरी के कोई फ़ैसला नहीं लेते थे मगर आसिफ़ जाहि दौर के ख़ातमा के बाद हैदराबाद में जम्हूरी दौर का आग़ाज़ हुआ जो जम्हूरी निज़ाम के ऐन मुख़ालिफ़ था और आज तक ये सिलसिला जारी है।

अनुराधा रेड्डी ने कहा कि आसिफ़ जाहि दौर में एक से ज़ाइद ज़बानों को सरकारी ज़बान को दर्जा दिया गया था मगर मुत्तहदा रियासत में बाद तेलुगु ज़बान का फ़रोग़ के नाम पर आसिफ़िया दौर की सरकारी ज़बानों खासतौर पर उर्दू को तबाह करने की साज़िशें की गई और इस का रास्त असर उर्दूदां तबक़ा की मईशत पर पड़ा।

उन्हों ने हुकूमत की फ़लाही स्कीमात से पसमांदगी का शिकार तबक़ात को वाक़िफ़ करवाने और हुकूमत की रियायतों से इस्तिफ़ादा उठाने में अवामी नुमाइंदों मज़हबी रहनुमाओं और समाजी जहदकारों के रोल को भी अहमीयत हामिल क़रार दिया और कहा कि हैदराबाद की क़दीम तहज़ीब और सक़ाफ़त फ़िर्कावाराना हमआह्गीं की बाज़याबी ही अलाहिदा तेलंगाना रियासत की तशकील कि मक़सद की तकमील होगा।