मोबाइल मेडिकल यूनिट घोटाला

रांची 30 अप्रैल : रियासत के साबिक़ सेक्रेटरी सेहत डॉ प्रदीप कुमार सहित आठ के खिलाफ मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू) घोटाले में इलज़ाम क़ायम किया गया। सीबीआइ ने इस मामले में मुल्ज़िमान पर 23.21 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का इलज़ाम लगाया है।

सीबीआइ के खुसूसी जज आरके चौधरी की अदालत ने पीर को मुल्ज़िमान के खिलाफ इलज़ाम तशकील की कार्रवाई पूरी की। इस दौरान तमाम मुलजिम अदालत में मौजूद थे। जज ने तमाम मुल्ज़िमन को इल्ज़ामात की मालूमात दे दी और पूछा कि वे इन इल्ज़ामात को तस्लीम करते हैं या नहीं। तमाम मुल्ज़िमान ने सीबीआइ की तरफ से लगाये गये इल्ज़ामात को गलत बताया।

काबिले ज़िक्र है, कि जज ने मोबाइल यूनिट घोटाले में इलज़ाम तशकील के लिए साबिक़ सेहत सेक्रेटरी डॉ प्रदीप कुमार, साबिक़ एनआरएचएम अफसर विजय शंकर, ठेकेदार सह प्रदीप कुमार के करीबी श्यामल चक्रवर्ती के अलावा जमशेदपुर के मशहूर कारोबारी कृष्ण भालोटिया, नवीन भालोटिया, गजानन भालोटिया, नितिन भालोटिया को नोटिस जारी कर इलज़ाम तशकील के लिए मुक़र्रत तारीख पर हाज़िर होने का हुक्म दिया था।

क्या है मामला

हिंदुस्तान की हुकूमत ने कुछ साल पहले देहि इलाकों में सेहत की सहूलियत पहुंचाने के लिए मेडिकल सहूलियत से लैस गाड़ी खरीदने की मंसूबा बनायी थी। झारखंड में इस खरीद में भारी गड़बड़ी हुई थी। हुकूमते हिंदुस्तान की हेदायत के खेलाफ़वर्जी करते हुए छोटी-छोटी गाड़ियों के बदले 79 बड़े गाड़ी खरीदे गये थे।

इन गाड़ियों को मेडिकल मोबाइल यूनिट में बदलने के लिए बॉडी बनाने के मकसद से निकाले गये टेंडर में स्पेसिफिकेशन का ज़िक्र नहीं किया गया था। सरकारी अफसरों के साथ साजिश रच कर भालोटिया बरादरान ने मोबाइल यूनिट बनाने का काम पाया था। सीबीआइ ने इस मामले की ताफ्सिश के बाद 23 करोड़ 21 लाख 29 हजार रुपये की गड़बड़ी पकड़ी थी।