याकूब मेमन को फांसी बिना सुबूत के कम्युनल हिंदुओं के दबाव में दी गई : मार्कंडेय काटजू

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू ने भी याकूब मेमन को फांसी देने को पूरी तरह गलत बताया है। उन्होंने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में स्पष्ट कहा है कि याकूब के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं थे और उसे फांसी देना सरासर गलत है। काटजू ने यह भी कहा कि भारत में सांप्रदायिक अलगाव बढ़ता जा रहा है ऐसे फैसले उसी को कायम रखने के लिए किये जाते हैं।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

काटजू ने कहा कि देश के 80 से 90 प्रतिशत हिंदू और मुस्लिम भी कम्युनल हो गए हैं और एक-दूसरे से नफरत करते हैं। काटजू ने कहा कि जयादातर हिंदू याकूब की फांसी चाहते थे और ज्यादातर मुस्लिम इसके खिलाफ थे।

चूंकि भारत में करीब 80 प्रतिशत हिंदू है इसलिए ऐसा होना तय था। उन्होंने साथ ही कहा कि मेरी इन बातों से सभी हिंदू मुझसे नाराज़ हो जाएंगे लेकिन मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। कुछ दिनों पहले भी काटजू ने कहा था, ‘याकूब के मामले में न्याय का भद्दा मजाक बना है. जिस सबूत के आधार पर मेमन को दोषी ठहराया गया वह ‘बहुत कमजोर’ है। यह सबूत सह-आरोपी का वापस लिया हुआ बयान और कथित बरामदगी है। ‘ वापस लिए हुए बयानों के संदर्भ में काटजू ने कहा, ‘हर कोई जानता है कि हमारे देश में पुलिस किसी तरह से यातना देकर बयान लेती है। यातना ऐसी खतरनाक चीज है जिस कारण कोई कुछ भी कुबूल कर लेगा।’