यूपी में महागठबंधन बनाम योगी फैक्टर की लड़ाई!

लोकसभा चुनाव 2014 में अगर भाजपा 282 के जबर्दस्त आंकड़े तक पहुंची तो उसमें सबसे बड़ा योगदान उत्तर प्रदेश की उन 71 सीटों का था जो उसने अपने दम पर जीती थीं।

अपना दल की दो सीटों को मिलाकर उत्तर प्रदेश में एनडीए का आंकड़ा 73 सीट पर जाकर ठहरा। लेकिन अब हालात 2014 जैसे नहीं हैं। इन पांच सालों में गंगा, यमुना और गोमती में काफी पानी बह चुका है। इस बार सबकी निगाहें होंगी योगी आदित्यनाथ पर। उत्तर प्रदेश में उनके नेतृत्व में पहला लोकसभा चुनाव है।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से अब तक योगी आदित्यनाथ, पार्टी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद सबसे बड़े प्रचारक के तौर पर उभरे हैं। उनकी अपनी खास छवि है। एक फायरब्रांड हिंदुत्ववादी नेता की पहचान, पार्टी को उत्तर प्रदेश में फायदा पहुंचा सकती है।

वो एक सख्त प्रशासक के तौर पर देखे जाते हैं। हालांकि, 2018 में गोरखपुर, फूलपुर और कैराना में हुए लोकसभा उपचुनाव में योगी को मुंह की खानी पड़ी थी जब सपा-बसपा गठबंधन और राष्ट्रीय लोकदल ने करारी मात दी। वो अपना गढ़ गोरखपुर तक बचाने में असफल रहे।

चुनाव विश्लेषकों की मानें तो ऐसा बिल्कुल जरूरी नहीं। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ अब भी सबसे बड़ा चेहरा हैं। सबसे ज्यादा भीड़ खींचने वाला नाम हैं।

वो गोरखनाथ पीठ के महंत हैं। तमाम प्रदेशों में फैला नाथ संप्रदाय उन्हें सम्मान की नजर से देखता है। योगी खुद, लोकसभा चुनाव 2019 में 75 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं।

लेकिन, ये इतना आसान भी नहीं रहने वाला। कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को योगी के प्रभाव वाले क्षेत्र यानी पूर्वी यूपी की कमान सौंपी है। जाहिर है, प्रियंका की स्टार छवि और उनके तेवर, योगी को परेशान करने वाले हैं।