रिसर्च में दावा- खराब हवा से 10 साल कम हो रही दिल्‍ली वालों की उम्र

अमेरिका के एक यूनिवर्सिटी द्वारा सोमवार (19 नवंबर) को जारी किए गए एक रिपोर्ट के अनुसार, खराब हवा की वजह से दिल्ली में रहने वाले लोगों की उम्र 10 साल तक कम हो रही है। शिकागो के मिल्टन फ्राइडमैन यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स (एक्यूएलआई) पर यूनिवर्सिटी के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट (इपीआईसी) में जीवन पर हवा की गुणवत्ता के प्रभाव की गणना की गई। दिल्ली एनसीआर में खराब हवा पर स्टडी की गई। रिपोर्ट में यह बताया गया है कि दिल्ली में वर्ष 2016 में प्रदूषण का स्तर 113 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था। यदि दिल्ली की हवा विश्व स्वास्थ्य संगठन के पैमाने पर हो तो यहां रहने वाले लोगों की जिंदगी जीने की संभावना 10 वर्ष अधिक हो जाएगी। बता दें कि एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स वह होता है जो हवा की गुणवत्ता का जीवन पर पड़ने वाले असर को बताता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हवा में पीएम 2.5 की मात्रा प्रत्येक क्यूबिक मीटर 10 माइक्रोग्राम होनी चाहिए। वहीं, भारतीय मापदंडों के अनुसार, इसे बढ़ाकर 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर कर दिया गया है। लेकिन भारत में हवा इससे भी कई गुणा ज्यादा प्रदूषित है। इंडेक्स के अनुसार, वर्ष 1998 में दिल्ली और उत्तर भारत के राज्य हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार पहले से ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुरक्षित पैमाने से काफी आगे थे। इस वजह से यहां रहने वाले लोगों की जिंदगी जीने की संभावना 2 से 5 साल के बीच कम हो गई। दो दशक बाद प्रदूषण 10 गुणा अधिक बढ़ गया है। इस वजह से यहां रहने वाले लोगों की जिंदगी जीने की संभावना 8.6 साल कम हो गई है।

पिछले दो दशक में देश की हवा में प्रदूषित कण औसतन 69 प्रतिशत बढ़ गए हैं। इसका नतीजा यह यह है कि लोगों की जिंदगी जीने की संभावना जो 1998 में 2.2 वर्ष कम थी, वह बढ़कर 4.3 साल हो गई है। इंडेक्स के अनुसार, वर्ष 2016 में यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन के अनुसार, दूषित पानी और सेनिटेशन की समस्या को दूर करने से जिंदगी की संभावना 69 वर्ष से बढ़कर 73 वर्ष हो सकती है। बता दें कि दिल्ली में हर साल वायु प्रदूषण की वजह से 10 से लेकर 30 हजार लोगों की मौत होती है। प्रदूषण की वजह से लोगों में अस्थमा, आंखों में जलन, सांस लेने में समस्या जैसी बीमारी हो जाती है।